
भोपाल में बजरिए प्रज्ञा ठाकुर संघ-परिवार और भाजपा उत्तर भारत के हिन्दी राज्यों में हिन्दुत्व के उस उन्मादी ’बॉयलिंग-पॉईंट’ को तलाशना चाह रहें हैं, जहां सांप्रदायिक विभाजन के कढ़ाव में हिन्दू-मुस्लिम ध्रुवीकरण निरन्तर उबलता-उफनता रहे और उनके वोटों की फसल लहलहाती रहे। गोरखपुर मठ के प्रमुख मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के वेश में उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिकता की पाषाण-प्रतिष्ठा के बाद मध्य प्रदेश दूसरा हिंदी-भाषी राज्य है, जहां प्रज्ञा ठाकुर के रूप में राजनीतिक और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का यह खतरनाक प्रयोग हो रहा है। ध्रुवीकरण के इस राजनीतिक प्रयोग की लपटें हिंदी-पट्टी की विकास को नफरत, विद्वेष और रक्तरंजित टकराव के अग्नि-कुंड में स्वाहा कर देंगी।
तमिलनाडू, केरल, आंध्र, तेलंगाना जैसे दक्षिण के अहिंदी भाषी राज्यों में लोकसभा चुनाव का कवरेज करने वाले मीडियाकर्मियों और पत्रकारों का कहना है कि इन राज्यों में भाजपा के जीतने की संभावनाएं नगण्य हैं। इन पतले हालात में भाजपा के रणनीतिकार खजाने की चाबी लेकर राजनीतिक समर्थन हांसिल करने के लिए तैयार बैठे हैं। जाहिर है कि केन्द्र में मोदी-सरकार का समर्थन करने की एवज में क्षेत्रीय दल क्षेत्रीय विकास के नाम पर जबरदस्त सौदेबाजी करेगें। इसके विपरित हिंदीभाषी राज्यों में भाजपा सांप्रदायिकता लपटों में राजनीतिक रोटियां सेकती रहेगी।
2019 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवाद के नाम पर राष्ट्र को सांप्रदायिकता के अंगारों में ढकेलने के राजनीतिक प्रयासों की भाजपाई पृष्ठभूमि दिलचस्प है। उत्तर भारत के हिंदी-भाषी राज्यों की तुलना में दक्षिण के अहिंदी राज्यों में भाजपा का वजूद नगण्य है। भाजपा जानती है कि मौजूदा संसदीय चुनाव में उसे 2014 के लोकसभा चुनाव जैसा समर्थन हांसिल नहीं हो सकेगा। हिंदी-पट्टी में अपेक्षित समर्थन के अभाव में केन्द्र में सत्तारोहण के लिए भाजपा को दक्षिण राज्यों के प्रभावशाली क्षेत्रीय दलों के समर्थन की जरूरत होगी। भाजपा के विस्तार की अपनी कहानी है। 1989 से बाद भाजपा जंहा हिंदुत्व पर सवार होकर आगे बढ़ी है, वहीं क्षेत्रीय दलों के साथ तालमेल करके भी उसने अपनी राजनीतिक ताकत में इजाफा किया है। 2014 में भाजपा ने दस राज्यों में चुनाव-पूर्व गठबंधन किए थे। इसके बावजूद आंकड़ों की हकीकत कहती है कि 2014 में भाजपा को हांसिल 282 सीटों में 244 सीटें उसे हिंदी पट्टी और पश्चिमी भारत के उसके मजबूत किलों में हांसिल हुई थीं। भाजपा जानती है कि 2014 का यह परफार्मेंस अब रिपीट होने वाला नहीं हैं। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैलियों में सांप्रदायिक-ध्रुवीकरण की बातें बढ़-चढ़ कर हो रही हैं। वो सारे सांप्रदायिक मुद्दे सुलगने लगे हैं, जो ’सबका साथ-सबका विकास’ के नारे की ओट मे चले गए थे। 2014 में नरेन्द्र मोदी के गुजरात-मॉडल को आगे रख कर भाजपा ने विकास का मुखौटा लगाया था। मोदी-सरकार के साड़े चार साल के कार्यकाल में वह मुखौटा छिन्न-भिन्न हो चुका है। भाजपा अपने तीस साल पुराने मूल-चरित्र में लौट आई है, जहां वह राम मंदिर, धारा 370, समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दों को लेकर चुनाव में ध्रुवीकरण का काम कर रही हैं।
आतंकवाद के आरोपों में लिप्त प्रज्ञा ठाकुर का राजनीतिक अवतार इस बात का संकेत है कि सिर्फ भोपाल ही नहीं, सभी हिंदी-भाषी राज्य विकास की धुरी छोड़कर उग्र सांप्रदायिकता की आग में झुलसने के लिए तैयार रहें। भाजपा विकास के एजेण्डे को हाशिए पर ढकेल कर अतिवाद के माध्यम से अपना सांप्रदायिक प्रभुत्व कायम करने के रोड-मेप पर आगे बढ़ने के लिए तत्पर है।
भाजपा ने हिंदु-आतंकवाद के नाम पर वोट बटोरने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ प्रज्ञा ठाकुर को मैदान में उतारा है। राजनीति में दिग्विजय सिंह की अपनी प्रभावशीलता और कद-काठी है। भाजपा उनके राजनीतिक रूतबे से बखूबी वाकिफ है और उनके राजनीतिक-अभ्युदय के खतरों को पहचानती है। विगत मप्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में उनका योगदान किसी से छिपा नहीं है। शायद इसीलिए राहुल गांधी के बाद वो ही एकमात्र ऐसे कांग्रेस नेता हैं, जो सबसे ज्यादा भाजपा के ’हेट-केम्पेन’ के टारगेट पर रहते हैं। उनकी हैसियत का अंदाज इसी से लग सकता है कि खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी चुनावी-रैलियों में नाम लेकर उनकी आलोचना कर रहे हैं। सामान्य तौर पर चुनाव अभियानों मे शिरकत करने वाले सभी प्रधानमंत्री विपक्षी प्रत्याशियों पर व्यक्तिगत आक्षेप करने से बचते हैं। मोदी का मामला अलग है। वोट बटोरने के लिए वो किसी भी स्तर पर उतर सकते हैं।
सम्प्रति- लेखक श्री उमेश त्रिवेदी भोपाल एनं इन्दौर से प्रकाशित दैनिक सुबह सवेरे के प्रधान संपादक है। यह आलेख सुबह सवेरे के 04 मई के अंक में प्रकाशित हुआ है।वरिष्ठ पत्रकार श्री त्रिवेदी दैनिक नई दुनिया के समूह सम्पादक भी रह चुके है।
 CG News | Chhattisgarh News Hindi News Updates from Chattisgarh for India
CG News | Chhattisgarh News Hindi News Updates from Chattisgarh for India
				 
			 
						
					 
						
					