
राजनांदगांव,08 दिसंबर।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज दावा किया कि राज्य में नक्सलवाद की कमर टूट चुकी है और यह अब “अंतिम दौर” में है।
श्री साय ने आज यहां आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार के दो वर्ष का कार्यकाल राज्य के इतिहास में निर्णायक मोड़ साबित हुआ है। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के लक्ष्य “31 मार्च 26 तक देश से नक्सलवाद का पूर्ण उन्मूलन” की दिशा में छत्तीसगढ़ तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है।
उन्होने कहा कि राज्य में बीते दो वर्षों में सुरक्षा बलों ने ऐतिहासिक सफलताएँ दर्ज की हैं। 500 से अधिक माओवादी मुठभेड़ों में ढेर हुए, जबकि 4,000 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया या गिरफ्तार हुए। उन्होंने कहा कि इन कार्रवाइयों ने बस्तर में दशकों से चली आ रही हिंसा के विरुद्ध निर्णायक बढ़त दिलाई है।
श्री साय ने नई पुनर्वास नीति का भी विस्तृत उल्लेख किया।इस नीति के तहत आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए 15,000 प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत किए गए हैं। इसके अलावा तीन वर्ष तक 10,000 रुपये मासिक सहायता, कौशल विकास और रोजगार उन्मुख प्रशिक्षण जैसी सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि “गोलीबारी की भाषा छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ना अब बस्तर की सच्चाई बन रहा है,” और पंडुम कैफ़े जैसे मॉडल इसकी मजबूत मिसाल हैं।
उन्होने बताया कि सुरक्षा कैंपों के विस्तार और प्रशासनिक पहुँच बढ़ने से 400 से अधिक गाँव फिर से आबाद हो चुके हैं। ‘नियद नेल्ला नार’ योजना के तहत सड़क, बिजली, पेयजल, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएँ तेजी से बहाल की जा रही हैं। उन्होंने कहा, “जहाँ कभी गोलियों की आवाज सुनाई देती थी, आज वहाँ स्कूलों की घंटियाँ बज रही हैं। वर्षों बाद कई गाँवों में ध्वजारोहण हुआ है, लोग निडर होकर मतदान में भाग ले रहे हैं और राशन-कार्ड से लेकर मोबाइल नेटवर्क तक की सेवाएँ सरलता से उपलब्ध हैं।”
श्री साय ने बस्तर को भविष्य के बड़े विकास केंद्र के रूप में रेखांकित किया। नई औद्योगिक नीति (2024–30) में नक्सल-प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। कृषि, सिंचाई, वनोपज आधारित उद्योग, पशुपालन और छोटे उद्योगों में निवेश और रोज़गार के अवसर तेज़ी से बढ़ रहे हैं। स्थानीय युवाओं को वनोपज आधारित वैल्यू एडिशन और ग्रामीण उद्यमिता से जोड़कर स्थायी आय का मार्ग तैयार किया जा रहा है।
उन्होने कहा कि पर्यटन को उद्योग का दर्जा मिलने से बस्तर वैश्विक पहचान की ओर बढ़ रहा है। कुटुमसर गुफा, झरने, अबूझमाड़ के जंगल और जनजातीय सांस्कृतिक धरोहर अब देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। होम-स्टे मॉडल यहाँ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति दे रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नक्सलवाद उन्मूलन की यह ऐतिहासिक प्रगति शहीद जवानों, सुरक्षा बलों की मेहनत और जनता के विश्वास का परिणाम है।उन्होंने विश्वास जताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के संकल्प के अनुरूप बस्तर जल्द ही नक्सलवाद मुक्त होकर विकास की मुख्यधारा से पूर्ण रूप से जुड़ जाएगा।
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