भारतीय जनता पार्टी पूरे देश में भगवा आतंकवाद और हिन्दू आतंकवाद शब्द को लेकर कांग्रेस पार्टी को हमेशा घेरती रहती है। भगवा आतंकवाद या हिन्दू आतंकवाद को लेकर आजकल वह मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भोपाल लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह की घेराबंदी करते हुए ऐसे प्रचारित कर रही है जैसे मानो इस शब्द के जनक वे ही हों। भाजपा के बड़े नेताओं ने जब चुनावी समर में उतरने से मना कर दिया और प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भाजपा ने मैदान में उतारा है तब से उसका सारा जोर इस बात पर है कि प्रज्ञा के साथ जो कुछ भी हुआ वह दिग्विजय सिंह के कारण ही हुआ। भाजपा हमेशा विरोधाभास से घिरी रही है, ऐसा कई बार देखने को मिला है। सबसे पहले भगवा आतंकवाद शब्द का प्रयोग तत्कालीन केंद्रीय गृह सचिव आर.के. सिंह ने किया था, उसके बाद उनकी ब्रीफिंग के आधार पर तत्कालीन गृहमंत्रियों पी. चिदम्बरम तथा सुशील कुमार शिंदे ने इसे कुछ आगे बढ़ाया। भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने जब सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक की देशव्यापी रामरथ यात्रा निकाली थी उस समय बिहार में आडवाणी की गिरफ्तारी के आदेश भी जिलाध्यक्ष के रुप में आर.के. सिंह ने ही दिए थे, सिंह आज प्रधानमंत्री मोदी की सरकार में राज्यमंत्री हैंं। प्रज्ञा सिंह ठाकुर पर जब आतंकी होने के आरोप लगे और उनकी गिरफ्तारी हुई उस घटना के दौरान दिग्विजय सिंह न तो किसी शासकीय पद पर थे और न ही सांसद। दिग्विजय ने कभी भी हिन्दू या भगवा आतंकवाद शब्द का प्रयोग नहीं किया बल्कि उन्होंने केवल संघी आतंकवाद भी इस संदर्भ में कहा था जब संघ के किसी कार्यालय में बम मिले और संघ के कुछ लोग बम बनाते पकड़े गये।
रामानंद सागर का रामायण धारावाहिक लोकप्रियता की चरम सीमा पर रहा था और उसमें राम, सीता तथा रावण का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल, दीपिका चिखालिया और अरविन्द त्रिवेदी पात्र हुआ करते थे। भाजपा ने सीता का किरदार निभाने वाली दीपिका चिखालिया और रावण का किरदार निभाने वाले अरविन्द त्रिवेदी को तो टिकट दे दी एवं लोकसभा पहुंचा दिया लेकिन राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल को छोड़ दिया, जबकि भाजपा की सारी राजनीति अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण को लेकर ही रही है और जय श्रीराम के नारे तब से अभी तक भाजपा की सभाओं में लगाये जाते रहे हैं। राम-रावण युद्ध सीताहरण के कारण हुआ था और रावण एवं सीता का किरदार निभाने वाले कलाकारों को लोकसभा में सीट भी आजू-बाजू में मिली, लेकिन राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल बाहर ही भटकते रहे। पूर्व लोकसभा सदस्य और कांग्रेस नेता व सुपर सिने स्टार रहे राजेश खन्ना अक्सर कहा करते थे कि ये अजब पार्टी है जो राजनीति तो राम के नाम पर करती है और रावण एवं सीता को अगल-बगल में बिठा देती है, तथा राम को भटकने के लिए छोड़ देती है। भोपाल लोकसभा सीट के लिए
चुनाव में दिग्विजय सिंह विकास के एक विजन को सामने रखने के साथ ही साफ्ट हिंदुत्व की नीति पर चल रहे हैं। इस प्रकार उनके एक हाथ में भावी भोपाल की परिकल्पना का दस्तावेज है तो दूसरे हाथ में नर्मदा परिक्रमा के बाद धार्मिक व आध्यात्मिकता से लेस होकर वे चुनावी समर में हैं। दो पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती और जैन मुनियों का भी उन्हें आशीर्वाद प्राप्त है। पुष्पगिरी तीर्थ प्रणेता पुष्पदंत सागरजी महाराज ने एक वीडियो जारी कर दिग्विजय को आशीर्वाद एवं समर्थन दिया है। प्रज्ञा स्वयं भगवा वस्त्र पहनती हैं तो वहीं दिग्विजय के समर्थन में भी बड़ी संख्या में भगवाधारी साधु-सन्त प्रचार कर रहे हैं। कम्प्यूटर बाबा ने यज्ञ किया और साधुओं ने धूनी रमाई एवं जप यज्ञ के बाद जीत का आशीर्वाद भी दिग्विजय को दिया। दिग्विजय पर हिन्दू विरोधी होने के आरोप लगाते हुए उन्हें घेरने की प्रज्ञा व उनके समर्थक कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनके इस सवाल का उत्तर भाजपाइयों के पास नहीं है कि उनसे बढ़कर विधि-विधान से धार्मिक क्रियायें और पूजापाठ करने वाला कोई भी भाजपा का नेता हो तो वह सामने आये। दिग्विजय 3300 किलोमीटर की नर्मदा परिक्रमा यात्रा कर चुके हैं, चार बार गोबर्धन परिक्रमा नंगे पैर कर चुके हैं, तथा हर साल पंडरपुर की यात्रा पर भी जाते हैं। अनेकों मंदिरों में नियमित जाते हैं, उनके स्वयं के राधौगढ़ किले में अनेक मंदिर हैं और एकादशी का नियमित व्रत करते हैं। भाजपा इस बात का कोई जवाब नहीं दे रही कि यह सब होने के बावजूद हिन्दू विरोधी कैसे हैं।
सम्प्रति-लेखक श्री अरूण पटेल अमृत संदेश रायपुर के कार्यकारी सम्पादक एवं भोपाल के दैनिक सुबह सबेरे के प्रबन्ध सम्पादक है।