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अकाल में अनाज बांटने वाले जननायक वीर नारायण सिंह के बलिदान को नमन

रायपुर, 11 दिसंबर। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के इतिहास अध्ययन शाला में शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद वीर नारायण सिंह का 168वां बलिदान दिवस श्रद्धा व सम्मान के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विभाग द्वारा एक परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न वक्ताओं ने वीर नारायण सिंह के योगदान और संघर्षों पर प्रकाश डाला।

   छत्तीसगढ़ इतिहास परिषद की अध्यक्ष एवं इतिहास विभाग की पूर्व अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) आभा रूपेंद्रपाल ने कहा कि वीर नारायण सिंह अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचारों के विरुद्ध गरीबों, किसानों और वंचितों की आवाज बनकर खड़े हुए। वर्ष 1856 के भीषण अकाल के दौरान उन्होंने गरीबों में अनाज बांटकर मानवता की अनूठी मिसाल पेश की। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों की गलत नीतियों से जब किसान भूखों मरने लगे, तब वीर नारायण सिंह ने किसानों को संगठित कर अत्याचारों का डटकर मुकाबला किया।

  प्रो. रूपेंद्रपाल ने बताया कि अंग्रेजों ने उन पर अनाज के गोदामों को लूटकर प्रजा में बांटने का आरोप लगाया, जबकि वास्तविकता में उन्होंने अकाल से त्रस्त लोगों को उनके अधिकार का अन्न दिलाया था। इसी मानवतावादी कार्य के लिए अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और 10 दिसंबर 1857 को रायपुर में फाँसी दे दी।

  कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इतिहास अध्ययन शाला के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) आर.के. ब्रह्मे ने कहा कि सोनाखान के जमींदार होने के बावजूद वीर नारायण सिंह ने सुविधा का जीवन त्यागकर अन्याय के खिलाफ संघर्ष को चुना। वे चाहते तो अंग्रेजों से समझौता कर सुख-सुविधा भरा जीवन जी सकते थे, पर उन्होंने जनहित को सर्वोपरि रखा।

   प्रमुख वक्ता एवं पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. रमेंद्र नाथ मिश्र ने कहा कि वीर नारायण सिंह की लड़ाई असमानता के खिलाफ थी। अंग्रेजों ने उन्हें देशद्रोह का दोषी ठहराया, जबकि उनका पूरा जीवन जनसेवा और न्याय की लड़ाई को समर्पित रहा। उन्हें 1857 की क्रांति में छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का गौरव प्राप्त है।

   कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. (डॉ.) के.के. अग्रवाल, उपाध्यक्ष, छत्तीसगढ़ इतिहास परिषद एवं  प्रो. (डॉ.) बी.एल. सोनकर, अध्यक्ष, अर्थशास्त्र अध्ययन शाला उपस्थित रहे।

   इस अवसर पर छात्रों द्वारा खेलकूद गतिविधियां, भाषण प्रतियोगिता, गीत, और रंगोली प्रतियोगिता आयोजित की गईं।विजेता प्रतिभागियों को अतिथियों द्वारा प्रमाणपत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

  कार्यक्रम में (डॉ.) डी.एन. खूटे, (डॉ.) बसों नूरूटि, (डॉ.) सीमा पाल, (डॉ.) उदय अडाउ, (डॉ.) दिप्ती वर्मा सहित विभाग के शोधार्थियों और छात्र-छात्राओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन शोधार्थी गोल्डी राज एक्का ने किया।