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राष्ट्रपति मुर्मू ने कार्तिक जतरा में की जशपुर की जनजातीय महिलाओं की सराहना

गुमला/जशपुर, 30 दिसम्बर।झारखंड के गुमला में आयोजित अंतर्राज्यीय जन-सांस्कृतिक समागम ‘कार्तिक जतरा’ कार्यक्रम में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने जशपुर जिले की स्व-सहायता समूहों से जुड़ी जनजातीय महिलाओं के कार्यों, कौशल और आत्मनिर्भरता की भूरि-भूरि प्रशंसा की।

   राष्ट्रपति ने विशेष रूप से जशक्राफ्ट’ से जुड़ी महिलाओं के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके द्वारा निर्मित आभूषण और पर्यावरण-अनुकूल उत्पाद महिला सशक्तिकरण के सशक्त उदाहरण हैं।

   श्रीमती मुर्मू ने जशपुर वनमंडल अंतर्गत वन प्रबंधन समिति शब्दमुंडा, ग्राम कोटानपानी की स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार उत्पादों को जनजातीय सृजनशीलता, आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक संरक्षण का प्रेरक प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयास न केवल आजीविका के नए साधन सृजित करते हैं, बल्कि पारंपरिक कला और हस्तशिल्प को भी नई पहचान दिलाते हैं।

    उन्होने कहा कि युवाओं और आने वाली पीढ़ियों को जनजातीय समुदायों की परंपराओं से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। अपनी सांस्कृतिक विरासत और पहचान को संरक्षित रखते हुए युवाओं को आधुनिक विकास के पथ पर आगे बढ़ना चाहिए।

   इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि जशपुर की जनजातीय मातृशक्ति, विशेषकर ‘जशक्राफ्ट’ से जुड़ी बहनों के कौशल और स्वावलंबन की प्रशंसा पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि ग्राम कोटानपानी की स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा निर्मित आभूषण एवं पर्यावरण-अनुकूल उत्पाद राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और महिलाओं की मेहनत व रचनात्मकता के जीवंत उदाहरण हैं।

   मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति का यह स्नेहपूर्ण आशीर्वाद जनजातीय मातृशक्ति के आत्मविश्वास को बढ़ाएगा और आत्मनिर्भर भारत तथा “वोकल फॉर लोकल” की भावना को और अधिक मजबूती देगा। उन्होंने जशपुर की समस्त जनजातीय बहनों की ओर से राष्ट्रपति के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया।

  कार्यक्रम के दौरान जनजातीय हस्तशिल्प, पारंपरिक लोककला और स्व-सहायता समूहों के उत्पादों की प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र रही। छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधि दल ने जशपुर जिले की विशिष्ट शिल्प परंपरा और स्थानीय उत्पादों के माध्यम से जनजातीय सशक्तिकरण का प्रभावी संदेश दिया।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि मांझाटोली (झारखंड) में आयोजित यह अंतर्राज्यीय जन-सांस्कृतिक समागम जनजातीय समाज को जोड़ने वाला एक मजबूत सेतु है। उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा, पंकजराज साहेब कार्तिक उरांव जैसे जननायकों के योगदान को स्मरण करते हुए कहा कि उनके विचार आज भी समाज को दिशा दे रहे हैं।