जशपुर 16 जून। कलेक्टर निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर ने कहा कि जशपुर जिला पुरातत्व एवं पर्यावरण की दृष्टि से बेहद समृद्ध है। यह सुदूर आदिवासी क्षेत्र होने के कारण अभी तक यह इलाका सर्वेक्षण एवं गहन अध्ययन से अछूता रहा है।जिले में पाषाणयुगीन काल की सभ्यता के प्रमाण मिले हैं। इससे संरक्षित करने की जरूरत है।
श्री क्षीरसागर ने पुरातत्व एवं पर्यावरण विषय पर दो दिवसीय नेशनल सेमीनार का शुभारंभ करते हुए कहा कि जशपुर अंचल में पाषाणयुगीन काल की हाल फिलहाल में 3-4 स्थान प्रकाश में आए हैं। यहां उत्तर पाषाण काल के भी स्थल विद्यमान हैं। उन्होंने कहा कि जशपुर जिला प्रशासन द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय नेशनल सेमीनार के आयोजन का मुख्य उद्देश्य यह है कि पुरातत्ववेत्ताओं, इतिहासकारों एवं पर्यावरणविदों के माध्यम से जिले के समृद्ध पुरातत्व को संरक्षित एवं संवर्धित करने एक दिशा मिले। इस अवसर पर उन्होंने जिला पुरातत्व संग्रहालय के स्थापना के लिए की जा रही पहल और जिले के पुरातत्व, इतिहास को संरक्षित एवं संवर्धित करने के लिए लोगों से सहयोग की अपील की।
इस दो दिवसीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए इन्द्रपस्थ विश्वविद्यालय के शोध निदेशक प्रोफेसर सर्वेशदत्त त्रिपाठी ने कहा कि सिर्फ सड़क,पुल, पुलिया, रेल, रोड एवं भवनों के निर्माण को ही विकास नहीं कहा जा सकता है। स्थायी विकास के लिए नव निर्माण के साथ-साथ अपने विरासत, पर्यावरण, जैव विविधता, परंम्परा एवं संस्कृति को भी सहेजना एवं संवारना भी जरूरी है। उन्होंने पुरातत्व एवं पर्यावरण विषय पर कलेक्टर श्री क्षीरसागर की विशेष पहल पर उन्हे साधुवाद देते हुए कहा कि इस आयोजन की जितनी भी सराहना की जाए कम है।
प्रोफेसर त्रिपाठी ने जशपुर-अम्बिकापुर से लगे सोनभद्र की विन्ध्य और कैमूर की पहाड़ियों में पुरातात्विक महत्व के स्थलों एवं मूर्तियों के शोध पर प्रकाश डाला और कहा कि धरोहरों को सहेजने के लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत हैं। जशपुर जिले में यह प्रयास कलेक्टर ने किया है, जो सराहनीय है। सतत् विकास के लिए इस तरह का आयोजन से एक दिशा मिलती है।
CG News | Chhattisgarh News Hindi News Updates from Chattisgarh for India