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परिवर्तन तभी सार्थक है जब उसे स्वीकार करने की सामर्थ्य हो- भूपेश

नई दिल्ली/रायपुर 16 जून।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि किसी भी समाज में परिवर्तन तभी सार्थक होता हैं, जब उस समाज में परिवर्तन को स्वीकार करने का सामर्थ्य हो।

श्री बघेल ने आज यहां परिवर्तन संस्था द्वारा आयोजित समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता हासिल करने वाले प्रतिभाओं के सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि साहित्य, संस्कृति और समाज के क्षेत्र में जो कार्य किये जाते हैं, वो चिरस्थायी प्रकृति के होते हैं। यह कार्य दर्शाते है कि समाज में तत्कालीन समय में क्या घटित हो रहा है और उसका समाज पर किस प्रकार प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि हमारा समाज कर्मठ समाज है तथा हमेशा संघर्ष के लिए तत्पर रहता है और संघर्ष से ही आगे बढ़ा है।

उन्होंने कहा कि इस देश में हो रहे परिवर्तन और उसे आगे बढ़ाने में युवाओं की महती भूमिका है। छत्तीसगढ़ के गठन का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने श्री खूबचंद बघेल और श्री चन्दूलाल चन्द्राकर सहित सभी महापुरूषों के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि अगर एकजुट होकर कोई भी प्रयास किया जाये तो सफलता अवश्य मिलती है।

श्री बघेल ने कहा कि हमारा समाज स्वाभिमानी समाज है और जब छत्तीसगढ़ में किसान का पुत्र मुख्यमंत्री बना तो उसने सबसे पहले जो निर्णय लिए वो किसानों के ही हित में थे। उन्होंने कहा कि कृषि से बड़ा कोई रोजगार अन्य सेक्टर नहीं दे सकता।

उन्होंने कहा कि अनाज के साथ साथ हमें रोजगार के क्षेत्र में भी स्वालंबी बनना होगा। उन्होंने छत्तीसगढ़ की नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना का जिक्र करते हुए बताया कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए जमीनी स्तर पर इसे क्रियान्वित किया जा रहा है। उन्होंने सभी प्रतिभाओं को बधाई और शुभकामनायें देते हुए कहा कि उन्हें समाज के उत्थान में अपना योगदान देना चाहिए ताकि दूसरे लोग भी उनका अनुसरण कर सके।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री के पिता श्री नंदकुमार बघेल और अन्य गणमान्य अतिथि भी उपस्थित थे।