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खुमान साव ने छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति को जीवित रखने का काम किया – ताम्रध्वज

राजनादगांव 18 जून।छत्तीसगढ़ के संस्कृति मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि शुमान साव जैसे छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने ही राज्य की कला-संस्कृति को जीवित रखने और संवारने का काम किया है।

श्री साहू ने आज छत्तीसगढ़ी लोककला के पुरोधा स्वर्गीय श्री खुमान साव के निवास ठेकवा में आयोजित उनके दशगात्र कार्यक्रम में इस आशय के विचार व्यक्त किए।उन्होने कहा कि छत्तीसगढ़ी संस्कृति हमारी विरासत है, हमारी शाश्वत पहचान है। इसे अपने-अपने तरीके से संरक्षित करने के लिए हम सबको कार्य करना चाहिए। छत्तीसगढ़ी संस्कृति से ही हमारी पहचान है। छत्तीसगढ़ की सहजता, सरलता, सदभाव और अपनेपन को सब जानते हैं।

संस्कृति मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार छत्तीसगढ़ की संस्कृति को संरक्षित करने का बीड़ा उठाया है। प्रदेश सरकार ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति का ध्वज वाहक है। सरकार बनते ही विधानसभा में सबसे पहला संशोधन राजिम कुंभ की जगह राजिम पुन्नी मेला आयोजित करने के लिए किया गया। पिछले राजिम पुन्नी मेले में छत्तीसगढ़ की संस्कृति की झलक देखने को मिली।

श्री साहू ने कार्यक्रम की शुरूआत में स्वर्गीय श्री खुमान साव के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। संस्कृति मंत्री ने स्वर्गीय श्री साव के परिजनों से भेंट कर  संवेदना प्रकट की। स्वर्गीय श्री खुमान साव के दशगात्र कार्यक्रम में पùश्री सम्मान प्राप्त छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध गायिका श्रीमती ममता चंद्राकर, गायिका श्रीमती कविता वासनिक, डोंगरगढ़ विधायक श्री भुनेश्वर बघेल, संचालक संस्कृति श्री अनिल साहू, उप संचालक श्री राहुल सिंह, श्री अशोक तिवारी, श्री वीरेन्द्र बहादुर सिंह सहित बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़ी कलाकार, छत्तीसगढ़ी फिल्म निर्माता, निर्देशक, गीतकार और संगीतकार शामिल हुए और उन्हें श्रद्धांजलि दी।

संस्कृति मंत्री श्री साहू ने कहा कि छत्तीसगढ़ी संस्कृति हमारी विरासत है, हमारी शाश्वत पहचान है। इसे अपने-अपने तरीके से संरक्षित करने के लिए हम सबको कार्य करना चाहिए। छत्तीसगढ़ी संस्कृति से ही हमारी पहचान है। छत्तीसगढ़ की सहजता, सरलता, सदभाव और अपनेपन को सब जानते हैं।

दशगात्र कार्यक्रम में पद्म श्री सम्मान प्राप्त छत्तीसगढ़ी गायिका श्रीमती ममता चंद्राकर, गायिका श्रीमती कविता वासनिक सहित अन्य कलाकारों ने स्वर्गीय श्री खुमान साव के संगीत से सजे बेहद लोकप्रिय छत्तीसगढ़ी गाने गाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।