रायपुर, 16 जुलाई।मध्यान्ह भोजन मेें अंडा दिए जाने के निर्णय पर मचे विवाद के बीच छत्तीसगढ़ सरकार ने स्पष्ट किया है कि शाकाहारी परिवारों के बच्चों को अंडा नही दिया जायेगा,और जिन स्कूलों में इसके वितरण पर आम सहमति नही बनेंगी वहां बच्चों के घर पर अंडा पहुंचाया जायेगा।
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा आज जिला कलेक्टरों को मध्यान्ह भोजन के मेन्यू के संबंध में 15 जनवरी को जारी आदेश के सम्बन्ध में स्पष्टीकरण जारी कर कहा गया है कि शाकाहारी परिवार के बालक एवं बालिकाएं भी शासकीय शालाओं में मध्यान्ह भोजन ग्रहण करते हैं, इस कारण आगामी दो सप्ताह में शाला विकास समिति एवं पालकों की बैठक शाला स्तर पर आयोजित कराई जाए। इस बैठक में ऐसे छात्र-छात्राओं को चिन्हित किया जाए जो मध्यान्ह भोजन में अण्डा ग्रहण नहीं करना चाहते हैं।
कलेक्टरों को भेजे गए स्पष्टीकरण में मध्यान्ह भोजन तैयार करने के बाद अलग से अण्डे उबालने अथवा पकाने की व्यवस्था करने को कहा गया है।इसके चुने छात्र-छात्राओं को मध्यान्ह भोजन के समय पृथक पंक्ति में बैठाकर मध्यान्ह परोसा जाएं। इसमें कहा गया कि जिन शालाओं में अण्डा वितरण किया जाना हो, वहां शाकाहारी छात्र-छात्राओं के लिए अन्य प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ यथा सुगंधित सोया दूध, सुगंधित मिल्क, प्रोटीन क्रंच, फोर्टिफाइड बिस्किट, फोर्टिफाइड सोयाबड़ी, सोया मूंगफल्ली चिकी, सोया पापड़, फोर्टिफाइड दाल इत्यादि विकल्प की व्यवस्था की जाएं।
पत्र में यह भी कहा गया है कि यदि पालकों की बैठक में मध्यान्ह भोजन में अण्डा दिए जाने के लिए आम सहमति न हो, तो ऐसी शालाओं में मध्यान्ह भोजन के साथ अण्डा न दिया जाकर घर पहुंचाकर पूरक आहार के प्रदाय की रीति शाला विकास समिति द्वारा विकसित की जाएं।