रायपुर 30 अगस्त।छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके अनुसूचित क्षेत्रों में पांचवी अनुसूची के तहत प्रदत्त अधिकारों का लाभ लोगों को मिल रहा है कि नहीं इसके लिए वे अनुसूचित क्षेत्रों में जाकर जनसुनवाई करेंगी।इस दौरान स्थानीय वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहेंगे।
राज्यपाल सुश्री उइके को आज यहां राजभवन में छत्तीसगढ़ आदिवासी कल्याण संस्थान, रायपुर के प्रतिनिधिमण्डल ने भेंट के दौरान बताया कि अनुसूचित जनजातियों के लिए संविधान में प्रदत्त अधिकार का लाभ नहीं मिल पा रहा है तथा प्रावधानों का क्रियान्वयन भी सहीं ढंग से नहीं हो पा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अनुसूचित क्षेत्रों में पांचवी अनुसूची के तहत ग्राम सभा की अनुमति के बगैर जमीन का अधिग्रहण नहीं करने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि वर्षों से जंगल में बसे ऐसे लोग जिन्हें अब तक वन अधिकार अधिनियम के तहत भूमि का पट्टा प्राप्त नहीं हुआ है या उनके प्रकरण पहले निरस्त किए जा चुके हों, उनके प्रकरणों की समीक्षा कराने के निर्देश दिए गए हैं।
राज्यपाल ने बताया कि विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों के प्रतिनिधिमण्डल ने उन्हें बताया था कि वर्ष 2013 से उनके लिए सीधी भर्ती बंद कर दी गई थी। इस पर उन्होंने मुख्यमंत्री से बात की थी और गत 27 अगस्त को हुई छत्तीसगढ़ जनजातीय सलाहकार परिषद की बैठक में विशेष पिछड़ी जनजाति के सभी शिक्षित युवाओं की सूची तैयार कर उन्हें पात्रतानुसार सरकारी नौकरी देने का निर्णय लिया गया।
राज्यपाल ने कहा कि प्रतिनिधिमण्डल की मांग पर कहा कि वे बस्तर के अंदरूनी ऐसे क्षेत्रों में जहां नक्सली समस्या के कारण बंद पड़े स्कूल एवं आश्रम आदि को पुनः शुरू किया जाना है या अंदरूनी क्षेत्रों के बच्चों को सड़क किनारे सुरक्षित स्थानों पर स्कूल-आश्रम खोलकर पढ़ाने की व्यवस्था की जानी है, उनकी सूची उन्हें दें, ताकि उचित कार्यवाही की जा सके।
उन्होंने बताया कि बस्तर और सरगुजा क्षेत्र में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती स्थानीय लोगों से करने के लिए कनिष्ठ कर्मचारी चयन आयोग का गठन किया जा रहा है, इससे स्थानीय लोगों को शासकीय सेवा प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि किसी गरीब परिवार के सदस्य के किसी दुर्घटना आदि में मृत्यु हो जाने पर और उसे कहीं से आर्थिक मदद नहीं मिल पा रही हो तो उनकी भी जानकारी उन्हें दी जाए, ताकि जरूरतमंद परिवार को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जा सके।