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राष्ट्रकुल सम्मेलन में महंत ने विधान मंडलों की भूमिका पर प्रकाश डाला

कम्पाला (युगाण्डा) 27 सितम्बर।युगाण्डा में विधान सभा अध्यक्ष डॉ.चरणदास महंत ने कहा कि भारत देश के संविधान में यह व्यवस्था है कि प्रजातंत्र की तीनों इकाईयों अर्थात् विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका एक-दूसरे से परस्पर तालमेल रखते हुए एवं क्षेत्राधिकार का सम्मान करते हुये, अपने-अपने कार्य सुचारू रूप से कर सकें।

डा.महंत 64वें राष्ट्रकुल संसदीय सम्मेलन में यह विचार व्यक्त किया।इसका उद्घाटन गुरूवार को युगाण्डा के राष्ट्रपति योवेरी कागुटा मुसेवेनि के मुख्य आतिथ्य एवं 64वें राष्ट्रकुल संसदीय सम्मेलन की अध्यक्ष सह युगाण्डा संसद की अध्यक्ष श्रीमती रेबेका कड़ागा की अध्यक्षता में हुआ।सम्मेलन के उद्घाटन के पश्चात् विभिन्न विषयों पर कार्यशालाओं का आयोजन हुआ। “त्वरित परिवर्तनशील राष्ट्रकुल में स्वीकार्य, सहयोगी विधायी निकायों का प्रादुर्भाव” इस सम्मेलन का ध्येय सूत्र है।

उन्होंने कहा कि आम निर्वाचन से पूर्व जनप्रतिनिधियों द्वारा जनता से किये गये वादों एवं निर्वाचन उपरांत जनआकांक्षाओं के अनुरूप वादों को पूर्ण करने में संसद/विधान मंडलों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।इस कार्यशाला में मध्य प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने भी सहभागिता की।

विधान सभा अध्यक्ष डॉ. चरण दास मंहत सम्मेलन में भाग लेने के उपरांत दिनांक 28 सितम्बर को कम्पाला से प्रस्थान कर मुम्बई से एयर इंडिया की उड़ान संख्या ए.आई. 651 से 29 सितम्बर को पूर्वाह्न रायपुर पहुंचेंगे।