नई दिल्ली 21 सितम्बर।गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि म्यांमा से भारत आने वाले रोहिंज्या गैर शरणार्थी नहीं बल्कि गैर कानूनी प्रवासी हैं।
श्री सिंह ने आज यहां सुशासन,विकास और मानवाधिकार विषय पर आयोजित एक सेमिनार में कहा कि रोहिंज्यों ने शरणार्थी का दर्जा पाने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया है।उन्होने कहा कि..रिफ्यूज़ी स्टेट्स प्राप्त करने के लिए एक प्रोसेस होता है और इनमें से किसी ने उस प्रोसिज़र को अपनाया नहीं है। रोहिंग्या लोगों को भारत से डिपोर्ट करके भारत किसी इंटरनेशनल लॉ का उल्लंघन नहीं कर रहा। क्योंकि वह 1951 के यूएन रिफ्यूजी कन्वेंशन का सिगनेटरी भी नहीं है। इसलिए ह्यूमन राईट्स का हवाला देकर इललीगल इमीग्रेंटस को रिफ्यूजी बताने की गलती कम से कम नहीं की जानी चाहिए..।
गृहमंत्री ने कहा कि भारत ने म्यांमा से रोहिंज्यों के पलायन की समस्या से निपटने के लिए बांगलादेश को मानवीय सहायता उपलब्ध कराई है।गृहमंत्री ने म्यामां की नेता आंग सान सू ची के उस वक्तव्य का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा है कि उनका देश रोहिंज्यों को वापस लेने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि अगर भारत उन्हें वापस भेजता है तो इसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
श्री सिंह ने कहा कि सू ची का यह बयान एक नई उम्मीद जगाता है।गृहमंत्री ने आशा व्यक्त की कि म्यांमा की सरकार इस मामले में जल्द ही कोई ठोस कदम उठाएगी।सेमिनार को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष एच एल दत्तू ने कहा कि सुशासन के लिए उच्च स्तरीय पारदर्शिता और प्रक्रियाओं के साथ निष्पक्ष कानूनी रूपरेखा की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार की भावना का जोर समानता, निष्पक्षता और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित है।
CG News | Chhattisgarh News Hindi News Updates from Chattisgarh for India