नई दिल्ली 30 सितम्बर।विजय दशमी का पर्व आज समूचे देश में धार्मिक उल्लास के साथ मनाया जा रहा है।
भगवान राम की रावण पर जीत के उपलक्ष्य में बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में दशहरा मनाया जाता है। इसके साथ ही नवरात्रि और दुर्गा पूजा का समापन भी हो जाता है। इस अवसर पर राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने देशवासियों को बधाई दी है।
राष्ट्रीय स्वयं सवेक संघ(आर एस एस) का वार्षिक विजय दशमी उत्सव नागपुर के रेशमबाग मैदान में चल रहा है। आर एस एस के सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत इस अवसर पर संघ के स्वयं सेवकों और अन्य लोगों को संबोधित करेंगे।
हिमाचल प्रदेश में बैजनाथ कस्बे में रावण, मेघनाद और कुम्भकरण के पुतले नहीं जलाये जाते। इस पुरानी परम्परा के पीछे कई धार्मिक कारण और मान्यताएं हैं।अत्यंत प्राचीन शिव मंदिर होने के चलते कांगड़ा जिले का बैजनाथ कस्बा भगवान शिव की धरती के रूप में विख्याति प्राप्त है। स्थानीय लोगों के मुताबिक रावण भगवान शिव का एक समर्पित भक्त था और शिव पूजा के लिए अक्सर यहां आता था। उसकी पूजा से भगवान शिव बेहद खुश रहते और उन्होंने कभी नहीं चाहा कि उनके इस अनन्य भक्त पुतला दहन यहां किया जाये। ऐसे में सदियों पुरानी परम्परा के मुताबिक ही लोगों ने यहां कभी रावण दहन नहीं देखा है।
अंडमान और निकोबार में भी दशहरा बड़े धूम-धाम से मनाया जा रहा है।लघु भारत कहलाये जाने वाले अंडमान निकोबार द्वीप समूह में दूर्गापूजा उत्सव सद्भाव और भक्तिभाव से मनाया जा रहा है। पोर्ट ब्लेयर सहित द्वीपों के विभिन्न भागों में पंडालों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है, जिसमें विभिन्न धर्मों के लोग बढ़चढ़ कर मां दूर्गा और अन्य देवी देवताओं के दर्शन कर रहे हैं।
लगातार हो रही वर्षा के बावजूद श्रद्धालुओं की भक्ति में कोई कमी नहीं आई है। हिन्दी साहित्य कला परिषद की ओर से दो दिवसीय श्रीराम लीला का मंचन किया जा रहा है, इसका समापन आज होगा।
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