रायपुर, 13 अगस्त।छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कहा कि आज के परिवेश में हर महिला को सशक्त होने की आवश्यकता है।आज हर महिला को रानी लक्ष्मीबाई बनने की आवश्यकता है।
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने हेमचंद यादव विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भूमिका विषय पर आधारित आज वेबीनार को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के 75 वर्ष के अवसर पर अमृत महोत्सव मना रहे है। हमारी स्वतंत्रता संग्राम में अनेक लोगों ने योगदान दिया। इसमें से अनेक का नाम हम जानते है, मगर कई ऐसे है जो गुमनामी में खो गए है।हमारी शिक्षा प्रणाली में ऐसे महानायकों का उल्लेख बहुत कम मिलता है।नई पीढ़ी को ऐसे महानायकों की जानकारी मिले, इसलिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ऐसे महानायकों को याद करने के उद्देश्य से अमृत महोत्सव के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।
उन्होने कहा कि आजादी के इस लड़ाई में पुरूष एवं महिला ने संयुक्त रूप से योगदान दिया। रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती, सरोजनी नायडु, सूचेता कृपलानी जैसे अनेक नाम हैं जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया। राज्यपाल ने कहा कि उस समय महिलाओं की स्थिति अपेक्षाकृत जागरूकता कम थी, तब भी उनमें इतना जज्बा था कि उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
उन्होंने कहा कि सन् 1857 का विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम वह घटना थी जिसकी नायक एक नारी थी, उस नारी की प्रशंसा अंग्रेज भी करते थे। लक्ष्मीबाई की नेतृत्व क्षमता को देखकर अंग्रेज सेनापति ने कहा था कि यह महिला बहुत बहादुर तथा सर्वश्रेष्ठ हैं। बेगम हजरत महल के सैनिक दल में शामिल महादेवी ने अकेले बत्तीस अंग्रेज सैनिकों को मार गिराया था।
राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की महिलाएं भी त्याग और बलिदान के लिए जानी जाती है। सन् 1920 में महात्मा गांधी के रायपुर प्रवास पर उनके द्वारा की गई दान की अपील से प्रभावित होकर महिलाओं ने अपने गहने, वस्त्र तथा नगद राशि बड़ी मात्रा में दान कर दी। गांधी जी के प्रभाव में महिलाएं गांव-गांव में स्वतंत्रता आन्दोलन का प्रचार करने लगी।