रायपुर 07 अक्टूबर।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भगवान श्री राम का राज्य से बड़ा गहरा नाता है। भगवान श्री राम हम लोंगो के जीवन और मन में रचे बसे हैं।
श्री बघेल ने आज मां कौशल्या की नगरी चंदखुरी में राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना के प्रथम चरण का लोकार्पण करते हुए कहा कि भगवान श्री राम का छत्तीसगढ़ के जन जीवन, लोक संस्कृति, लोक गीत में गहरा प्रभाव देखने और सुनने को मिलता है। भगवान श्री राम ने अपने वनवास की 14 साल की अवधि में से लगभग 10 साल की अवधि छत्तीसगढ़ में व्यतीत की। माता कौशल्या से मिले संस्कार और छत्तीसगढ़ में ग्रामीणों, वनवासियों और किसानों के साथ बिताई अवधि ने उनके व्यक्तित्व को इतनी ऊंचाई दी कि भगवान श्री राम मर्यादा पुरूषोत्तम कहलाए।
उन्होने इस मौके पर माता कौशल्या की नगरी चंदखुरी को प्रणाम करते हुए सभी लोगों को नवरात्रि पर्व की बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज यहां का वातावरण ऐसा लग रहा है जैसे माता कौशल्या भगवान राम को लेकर मायके चंदखुरी आई है, पूरा दृश्य मनोरम हो गया है।चंदखुरी ही नहीं पूरा छत्तीसगढ़ भगवान श्री राम का ननिहाल है। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम का यह प्रताप है कि छत्तीसगढ़िया लोग भांचा(भांजे) को राम के रूप में मानते हैं और उन्हें प्रणाम करते हैं।
श्री बघेल ने इस मौके पर भगवान श्री राम की 51 फीट ऊंची प्रतिमा का लाईट के माध्यम से अनावरण भी किया। कौशल्या माता मंदिर का जीर्णोद्धार एवं परिसर के सौंदर्यीकरण का कार्य 15 करोड़ 45 लाख रुपए की लागत से किया जा रहा है। वैश्विक पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित किए जा रहे मंदिर परिसर में 51 फीट ऊंची श्रीराम प्रतिमा स्थापित की गई है। साथ परिसर में भव्य गेट, मंदिर के चारों ओर तालाब का सौंदर्यीकरण, आकर्षक पथ निर्माण, वृक्षारोपण किया गया है।
उन्होने राम वन गमन पर्यटन परिपथ के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी और कहा कि कोरिया जिले के सीतामढ़ी में हरचौका से लेकर सुकमा के रामाराम तक लगभग 2260 किलोमीटर का राम वन गमन पर्यटन परिपथ विकसित किया जा रहा है।उन्होने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति हमारी पहचान है। इसको आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार हर वर्ग, हर समाज के लोगों की आस्था के केन्द्रों को संरक्षित एवं संवर्धित कर रही है।उन्होने चंदखुरी में नवरात्रि पर्व के दौरान तीन दिन तक आयोजित होने वाले रंगारंग सांस्कृतिक एवं धार्मिक कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए कहा कि यहां तीन दिन तक छत्तीसगढ़ सहित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कलाकार स्तर के कलाकार प्रस्तुति देंगे।
उन्होंने सिरपुर स्थित पुरातात्विक बौद्ध स्थल से लेकर बस्तर अंचल में आदिवासियों की संस्कृति एवं परंपरा से जुडे़ घोटुल और देवगुड़ियों के विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ अब संस्कृति के गढ़ के रूप में अपनी पहचान बना रहा है।छत्तीसगढ़ की संस्कृति यहां की परंपरा, यहां के धार्मिक, पुरातात्विक महत्व के स्थल, पर्यटन स्थल, सरगुजा के रामगढ़ स्थित पांच हजार वर्ष पूर्व की प्राचीन नाट्यशाला को विश्व पटल पर लाने का काम हमारी सरकार कर रही है।