नई दिल्ली 01नवम्बर।उच्चतम न्यायालय ने कहा कि आपराधिक मामलों में शामिल राजनेताओं के खिलाफ सुनवाई के लिए विशेष अदालत गठित होनी चाहिए।
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की खंडपीठ ने केन्द्र सरकार से कहा है कि विशेष अदालत बनाने के लिए फंड और संसाधनों की पूरी योजना दाखिल करे।इसके साथ ही न्यायालय ने यह भी टिप्पणी किया कि केन्द्र एक ओर तो विशेष अदालत बनाने का बात करता है और दूसरी ओर कहता है कि यह राज्यों का मामला है।मामले की अगली सुनवाई अब 31 दिसंबर को होगी।
केन्द्र ने न्यायालय को बताया कि राजनीति के अपराधीकरण को समाप्त करना होगा और सरकार राजनेताओं के इस तरह के मामलों को तेजी से निपटाने के लिए विशेष न्यायालय गठन करने के खिलाफ नहीं है। सरकार ने खंडपीठ को बताया कि आपराधिक मामलों के दोषी नेताओं को आजीवन अयोग्य घोषित किए जाने का निर्वाचन आयोग और विधि आयोग का सुझाव सरकार के विचाराधीन है।
उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र को निर्देश दिया कि 2014 के आम चुनाव में जिन नेताओं ने अपने नामांकन पत्रों में अपने खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों का उल्लेख किया है, उनसे संबंधित ब्यौरा न्यायालय को दे। बताया जाता है कि सासंदों और विधायकों के इस तरह के 1500 से अधिक मामले चल रहे हैं।
इस बारे में कई याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करते हुए शीर्ष न्यायालय ने सरकार से जानना चाहा कि 1581 मामलों में से कितने एक साल के अन्दर निपटाये गये हैं और कितनों में नेताओं का अपराध साबित हुआ है या उन्हें बरी कर दिया गया है।