नई दिल्ली 26 अक्टूबर।उच्चतम न्यायालय ने सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जातियों और जनजातियों को पदोन्नति में आरक्षण देने के मुद्दे पर फैसला आरक्षित रखा है।
न्यायमूर्ति नागेश्वर राव की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की पीठ ने इस बारे में सभी पक्षों की दलीलें सुनीं। केंद्र सरकार ने पीठ के समक्ष कहा था कि यह जीवन की सच्चाई है कि लगभग 75 वर्ष बाद भी अनुसूचित जातियों और जनजातियों को, अगड़ी जातियों के समान स्तर पर नहीं लाया जा सका।
अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लोगों को ग्रुप-ए की नौकरियों में उच्च पद पाने में काफी मुश्किल होती है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि शीर्ष न्यायालय को रिक्त पदों को भरने में अनुसूचित जातियों, जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए कोई ठोस आधार देना चाहिए।