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आदिवासी अपने अधिकारों के लिए जागरूक और संगठित हों – उइके

रायपुर 31 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके ने आदिवासी समाज के लोगों को अपने अधिकारों के लिए जागरूक होने और संगठित होने का आह्वान किया।

सुश्री उइके ने आज उरांव आदिवासी समाज द्वारा पुरखौती मुक्तांगन में आयोजित राज्य स्तरीय करम नृत्य प्रतियोगिता के कार्यक्रम एवं सम्मान समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि आदिवासी सरल स्वभाव के होने के साथ ही स्वाभिमानी भी होते हैं। उन्होंने समाज के लोगों को अपने अधिकारों के लिए जागरूक होने और संगठित होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वे अपनी आजीविका के लिए जल, जंगल और जमीन पर निर्भर रहते हैं, जो कि उनका स्वाभाविक अधिकार है।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के अनुसूचित क्षेत्रों में पेसा कानून का क्रियान्वयन शीघ्र ही होगा, इसके लिए वे लगातार प्रयास कर रही हैं। आदिवासी कल्याण के लिए राज्य शासन की सोच भी सकारात्मक है। शासन द्वारा उनके कल्याण के लिए अनेक योजनाएं संचालित की जा रही है।उन्होंने कहा कि यह छत्तीसगढ़ जैसे आदिवासी बाहुल्य राज्य के लिए गौरव की बात है कि केन्द्र शासन द्वारा आदिवासी समुदाय के ही व्यक्ति को संवैधानिक मुखिया बनाकर भेजा गया है और मेरे लिए भी यह गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि युवाओं को अपनी संस्कृति पर गर्व करना चाहिए और अपनी बोली, भाषा, लोक कला को जीवित रखने के लिए प्रचार के आधुनिक माध्यमों का भी उपयोग करना चाहिए।

सुश्री उइके ने कहा कि समाज को शिक्षा विशेषकर बालिकाओं की शिक्षा, अपने आसपास के वातावरण की साफ-सफाई पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि कोरोना महामारी से हमने बहुत कुछ सीखा है। आदिवासी समुदाय को खेती-किसानी के अलावा युवाओं के कौशल बढ़ाने पर भी विचार करना चाहिए, जिससे उन्हें अन्य क्षेत्रों में भी रोजगार मिल सके।