रायपुर 15 दिसम्बर।छत्तीसगढ़ के खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने आज विधानसभा में स्वीकार किया कि समर्थन मूल्य पर पिछले विपणऩ वर्ष में खरीदे गए धान के समय से उठाव नही होने तथा सड़ने से 554 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ है।
श्री भगत ने प्रश्नोत्तरकाल में भाजपा सदस्य पूर्व मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह के पूरक प्रश्नों के उत्तर में कहा कि कोरोना महामारी,केन्द्र सरकार द्वारा खरीदी की देर से दी गई अनुमति आदि के कारण खरीद केन्द्रों से धान के उठाव में देरी हुई,जिस कारण वहां रखे धान को नुकसान पहुंचा।डा.सिंह ने मंत्री से वर्ष 2020-21 में धान खरीद नीति में उठाव के लिए तय बिन्दुओ की जानकारी मांगी,जिसे मंत्री नही दे सके।
डा.सिंह ने जिस पर इन बिन्दुओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें खरीद केन्द्र पर बफर स्टाफ होने पर उठाने की अनिवार्यता तथा 31 मार्च तक पूरा धान उठाने की अनिवार्यता हैं।अभी पिछले वर्ष का करोड़ो रूपए का धान खरीद केन्द्रों पर पड़ा हुआ है।उन्होने मंत्री द्वारा 554 करोड़ रूपए के नुकसान की दी गई जानकारी से असहमति जताते हुए कहा कि 900 करोड़ रूपए से अधिक का नुकसान हुआ है।इनकी नीतियों का असर यह हैं कि अभी लाखों टन चावल केन्द्रीय पूल में जमा नही हो सका है।
मंत्री भगत ने स्वीकार किया कि पिछले विपणऩ वर्ष में केन्द्रीय पूल में 24 लाख मीट्रिक टन चावल जमा किया जाना था जिसमें अभी एक लाख मिट्रिक टन से अधिक चावल जमा करना शेष हैं।उन्होने कहा कि नीलामी के माध्यम से 8.97 लाख मिट्रिक टन धान का विक्रय किया गया,और अभी 564 मिट्रिक टन धान उठाव हेतु शेष हैं।
डा.सिंह ने पूरक प्रश्नों के सटीक उत्तर मंत्री द्वारा नही दिए जाने का आरोप लगाते हुए विधानसभा अध्यक्ष डा.चरणदास महंत से गत वर्ष धान के उपार्जन,संग्रहण एवं परिवहन की सदन की समिति से जांच करवाने का अनुरोध किया।इस पर मंत्री ने डा.सिंह पर अमर्यादित टिप्पणी कर दी जिस पर सदन में हंगामा हो गया।