नई दिल्ली 11 मई। उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए के तहत 152 साल पुराने देशद्रोह कानून को प्रभावी ढंग से तब तक के लिए स्थगित रखा जाना चाहिए जब तक कि केंद्र सरकार इस प्रावधान पर पुनर्विचार नहीं करती।
शीर्ष न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश में केंद्र और राज्य सरकारों से इस प्रावधान पर पुर्नविचार होने तक कोई भी प्राथमिकी दर्ज नहीं करने का आग्रह किया है। प्रधान न्यायाधीश एन0 वी0 रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि धारा 124 ए के अंतर्गत लगाए गए आरोपों के संबंध में सभी लंबित मामले अपील और कार्यवाही को फिलहाल स्थगित रखा जाए।
न्यायालय ने यह माना कि अन्य धाराओं के संबंध में निर्णय बिना किसी पूर्वाग्रह के आगे बढ़ सकता है। न्यायालय ने यह भी कहा कि जो लोग पहले से ही भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के तहत जेल में हैं, वे जमानत के लिए संबंधित अदालतों में जा सकते हैं। यह भी आदेश दिया गया है कि यदि कोई नया मामला दर्ज किया जाता है तो याचिकाकर्ता राहत के लिए अदालत जाने के लिए स्वतंत्र हैं। साथ ही अदालतों से अनुरोध किया जाता है कि वे न्यायालय द्वारा पारित आदेश को ध्यान में रखते हुए मांगी गई राहत की जांच करें। ये निर्देश अगले आदेश तक लागू रहेंगे।
CG News | Chhattisgarh News Hindi News Updates from Chattisgarh for India