नई दिल्ली 26 मई। उच्चतम न्यायालय ने पुलिस को सहमति से सेक्स सम्बन्ध बनाने वाली सेक्स वर्कर के काम में रोक नही लगाने और उसके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई नही करने का आदेश दिया हैं।इस आदेश के बाद सेक्स वर्करों की जिन्दगी में अहम परिवर्तन की उम्मीद जताई जा रही हैं।
कोलकाता में 2011 में एक सेक्स वर्कर के खिलाफ दर्ज मामले को उच्चतम न्यायालय ने स्वतः संज्ञान में लिय़ा था।अदालत ने इस पूरे मामले को परीक्षण के लिए एक कमेटी का गठन किया था।इस कमेटी की रिपोर्चट को देखने के बाद इस मामले में न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव,न्यायमूर्ति बी.आर.गवई एवं ए एस बोपन्ना की तीन सदस्यीय पीठ ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि सेक्स वर्कर के साथ अपराधियों जैसा बर्ताव नही करके उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा कि अपनी मर्जी से सेक्स का काम कर रही सेक्स वर्कर को पुलिस गिरफ्तार नही कर सकती।पीठ ने कहा कि जब यह साफ हो सेक्स वर्कर व्यस्क हो और अपनी इच्छा से काम कर रही हो तो पुलिस को पुलिस को हस्तक्षेप करने या कोई आपराधिक कार्रवाई करने बचना चाहिए।अदालत ने मीडिया को भी हिदायत दी कि गिरफ्तारी एवं छापेमारी में किसी सेक्स वर्कर की पहचान उजागर नही हो।
सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद सेक्स वर्करों को पुलिस के उत्पीड़न से काफी हद तक राहत मिलने की उम्मीद की जा रही है।कई राज्यों में सेक्स वर्करों के खिलाफ कार्रवाई के लिए छत्तीसगढ़ समेत की राज्यों में अलग से कानून बने है,इस आदेश के बाद वह कानून रद्द होते है यै नही यह देखना होगा।
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