रायपुर, 13 जुलाई।छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा कि ध्यान और योग हमारी प्राचीन संस्कृति की देन है।मेडिटेशन से मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है,साथ ही दृष्टिकोण सकारात्मक होता है।
सुश्री उइके ने आज राजभवन के दरबार हॉल में गुरू पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित विशेष ध्यान सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्राचीन समय में हमारे ऋषि मुनि अपनी आत्मिक शक्ति को जागृत करने के लिए ध्यान योग किया करते थे। उन्होंने कहा कि आधुनिक भाग-दौड़ भरी जिंदगी से हम कई तरह के मानसिक तनाव के दौर से गुजर रहे हैं। इससे अनेक बीमारियों की गिरफ्त में हम आ रहे हैं। युवा कम उम्र मे ही मानसिक अवसाद के दौर से गुजर रहे हैं। कोरोना काल में तो यह स्थिति और भी अधिक गंभीर हो गई हैं।
उन्होने कहा कि जिंदगी की ऐसी तमाम मानसिक परेशानियों का मेडिटेशन से समाधान किया जा सकता है। मेडिटेशन हमें मानसिक रूप से मजबूत बनाता है। इसके निरंतर अभ्यास से हम जीवन के तमाम तनाव और निराशाजनक स्थितियों से मुक्ति पा सकते हैं।उन्होने कहा कि यदि हमें स्वस्थ जीवन यापन करना है तो अपनी व्यस्त दिनचर्या से समय निकाल कर योग और ध्यान करना चाहिए। इसी के सहायता से हम मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहेंगे और अपने कर्तव्यों का अच्छे से निर्वहन कर पाएंगे।
योगी स्वामी महेश ने कहा कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग,प्राणायाम तथा ध्यान बेहद आवश्यक है।इनके द्वारा हम शरीर के ऊर्जा के संतुलन को बनाये रख सकते है। उन्होने कहा कि योग व ध्यान के माध्यम से हम अपने मन को नियंत्रित और स्वच्छ कर सकते हैं।कार्यक्रम में राज्यपाल सुश्री उइके ने योगी स्वामी महेश को स्मृति चिन्ह एवं गमछा पहनाकर सम्मानित किया। स्वामी महेश ने भी राज्यपाल सुश्री उइके को गमछा पहनाकर सम्मानित किया।