रायपुर, 13 जुलाई।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में रासायनिक उर्वरकों की कम आपूर्ति को देखते हुए कृषि उत्पादन आयुक्त को केन्द्र से समन्वय कर मांग के अनुरूप रासायनिक उर्वरकों की आपूर्ति के लिए पत्र लिखने का निर्देश दिया हैं।
श्री बघेल ने आज यहां आयोजित बैठक में प्रदेश में वर्षा की स्थिति, खाद-बीज की उपलब्धता, सिंचाई जलाशयों में जल भराव की स्थिति, खरीफ फसलों के क्षेत्राच्छादन, संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के उपायों की समीक्षा की। बैठक में कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे भी उपस्थित थे।श्री बघेल ने कहा कि वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन के मामले में छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों से काफी आगे हैं। रासायनिक उर्वरकों की कमी की पूर्ति काफी हद तक वर्मी कम्पोस्ट की जा सकती है। आने वाले समय में वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन बढ़ाना होगा।
उन्होंने रासायनिक उर्वरकों के ज्यादा कीमतों पर बेचने की शिकायतों के प्रकरणों में कड़ी कार्यवाही करने के निर्देश दिए।उन्होने बारिश के दौरान संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के उपायों की समीक्षा के दौरान आवश्यक दवाओं के पर्याप्त मात्रा में भण्डारण, शहरों में साफ-सफाई, जल स्त्रोतों, हैण्ड पम्पों की साफ-सफाई और क्लोरिनेशन कराने के निर्देश दिए।उन्होने कहा कि मनरेगा के तहत भू-जल संरक्षण और संवर्धन की संरचनाएं प्राथमिकता के साथ निर्मित की जाएं। इससे भू-जल स्तर में सुधार होगा, सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता बढ़ेगी और ईको सिस्टम के लिए भी लाभदायक होगा।
उन्होंने कहा कि वन क्षेत्रों में पिछले दो-तीन वर्षों में कराए गए नरवा विकास के कार्यों के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। तमोरपिंगला और अचानकमार में हाथियों का दल काफी समय से एक स्थान पर है, क्योंकि वहां उन्हें पानी और चारा उपलब्ध हो रहा है। इसी तरह हाथी प्रभावित अन्य क्षेत्रों में भी नरवा विकास के कार्यों को तेजी से करने की आवश्यकता है, इससे हाथी मानव द्वंद्व कम होगा। गौठानों में चारागाह विकास की समीक्षा के दौरान उन्होने कहा कि चारे का उत्पादन करने वाले समूहों को खुले बाजार में चारा बेचने की अनुमति दी जाए, इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी तथा अतिरिक्त चारा का साईलेज बनाकर मवेशियों के लिए उपलब्ध कराया जाए।
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