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छत्तीसगढ़: सीएम बघेल ने 20 रुपए का 5 लीटर गोमूत्र बेचा

छत्तीसगढ़ की पहली त्यौहार हरेली पूरे प्रदेश में धूमधाम से मनाई जा रही है. इस खास अवसर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोमूत्र खरीदी की शुरुआत कर दी है. योजना की शुरुआत में मुख्यमंत्री भूपेश ने खुद 5 लीटर गोमूत्र बेचकर 20 रुपए की कमाई की है. इसके बाद अब प्रदेश का सभी चिन्हांकित गौठनों में 4 रुपए प्रति लीटर में गोमूत्र की खरीदी शुरू कर दी गई है.

मुख्यमंत्री ने 20 रुपए का 5 लीटर गोमूत्र बेचा

दरअसल मुख्यमंत्री निवास में आज हरेली तिहार का आयोजन किया गया था. इस अवसर पर राउत नाचा, करमा नृत्य, आदिवासी नृत्य के लोक कलाकार परंपरागत छत्तीसगढ़िया वाद्य यंत्रों के धुन पर थिरके. इस बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सीएम हाउस के गौशाला से 5 लीटर गोमूत्र इकठ्ठा कर स्व सहायता समूह की बहनों के पास बिक्री किया. इसके लिए मुख्यमंत्री को 20 रुपए भुगतान किया गया. वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि गोमूत्र बेचकर जो पैसे मिले उसे मुख्यमंत्री सहायता कोष में दे दिया है. इसके अलावा स्व सहायता समूह की बहनों ने जो गोमूत्र से दवाई बनाई है उसे मैंने खरीदा है. ताकि सीएम हाउस की बागवानी में मैं उसे डाल सकू.

गोमूत्र से बने उत्पाद सी मार्ट में होगी बिक्री

इसी तरह रायपुर के गोकुल नगर गौठान में भी गोमूत्र खरीदी शुरू हो चुकी है. पशुपालक गोमूत्र इकठ्ठा कर गौठान में बिक्री कर रहे हैं. गौठान के संचालक रितेश अग्रवाल ने बताया कि हमारे गौठान में प्रति दिन 100 लीटर गोमूत्र खरीदी का लक्ष्य रखा गया है. आज अबतक 70 लीटर गोमूत्र की खरीदी हो चुकी है. इससे धान और सब्जियों की खेती के लिए कीटनाशक दवाई बनाई गई है. जिसका दाम प्रति लीटर 100 रुपए है जिसे सी मार्ट में बिक्री की जाएगी.वहीं उन्होंने ये भी बताया कि गोमूत्र विक्रेताओं को भुगतान गौठान संचालक के ही द्वारा को जाएगी.

गोमूत्र से क्या क्या बनाया जा रहा है

गौरतलब है कि गोधन न्याय योजना की शुरुआत छत्तीसगढ़ में आज से 2 साल पहले 20 जुलाई 2020 को हरेली पर्व के दिन से हुई थी. इसके तहत गौठनों में पशुपालक ग्रामीणों से 2 रुपये किलो की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है. गोबर खरीदी के जरिए बड़े पैमाने पर जैविक खाद का निर्माण और उसके उपयोग के परिणामों को देखते हुए अब गोमूत्र की खरीदी कर इससे कीट नियंत्रक उत्पाद ,जीवामृत ,ग्रोथ प्रमोटर बनाए जाएंगे, ताकि राज्य के किसानों को महंगे रासायनिक कीटनाशकों के बदले सस्ते दर पर जैविक कीटनाशक उपलब्ध हो सकेगा.