नई दिल्ली 21नवम्बर।गुजरात में कड़े चुनावी मुकाबले के बीच मोदी सरकार ने तीन तलाक पर संसद के शीतकालीन सत्र में विधेयक लाने का संकेत दिया है।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सरकार एक दो दिन में ही विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए मंत्रियों का समूह बना सकती है।यह मामला काफी संवेदनशील है,इसलिए संभव हैं कि मंत्री समूह विधेयक को तैयार करते समय मुस्लिम समाज के प्रबुद्द लोगो खासकर तीन तलाक के खिलाफ आवाज उठाने वालों से भी विचार विमर्श कर सकती है।
गुजरात चुनाव के बीच विधेयक लाने के संकेत के राजनीतिक निहतार्थ खोजे जा रहे है।माना जा रहा हैं कि इसके जरिए भाजपा की नजर आधी मुस्लिम महिलाओं को अपने पक्ष में करने की है।कुछ का यह भी मानना है कि इस विधेयक को लाकर वह विपक्ष को उलझाना चाहती है जिससे कि उसे सरकार को दूसरे मुद्दों पर घेरने का पर्याप्त मौका नही मिल सके।
फिलहाल इन कारणों में कितनी सच्चाई है यह तो कहना मुश्किल है पर इसके पीछे उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ का निर्णय भी अहम है।तीन तलाक की सुनवाई करते हुए अगस्त महीने में पांच जजों की संवैधानिक पीठ के तीन जजों ने इसे असंवैधानिक बताया था।तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने ने कहा था कि इस मुद्दे पर संसद और केंद्र सरकार सबसे महत्वपूर्ण पक्ष है और उन्हें इस पर कानून बनाना चाहिए।
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