रायपुर 22 अगस्त।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप राज्य सरकारों को दिए जाएं विकास के समुचित अधिकार दिये जाने चाहिये।
श्री बघेल आज केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में भोपाल में आयोजित मध्य क्षेत्रीय परिषद की 23वीं बैठक को वर्चुवली संबोधित कर रहे थे।बैठक में राज्यों के मुख्यमंत्री व वरिष्ठ अधिकारीगण शामिल हुए। बैठक को संबोधित करते हुए श्री बघेल ने कहा कि राज्यों पर पूर्ण विश्वास किया जाए तथा राज्यों की स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप विकास के समुचित अधिकार राज्य सरकारों को दिए जाएं।
उन्होंने बैठक में आगे कहा कि, 44 प्रतिशत वन क्षेत्र, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी की बहुलता, सघन वन क्षेत्रों में नक्सलवादी गतिविधियों का प्रभाव, कृषि-वन उत्पादों तथा परंपरागत साधनों पर आजीविका की निर्भरता जैसे कारणों से छत्तीसगढ़ के विकास हेतु विशेष नीतियों और रणनीतियों की जरूरत है। हम राज्य के सीमित संसाधनों से हरसंभव उपाय कर रहे हैं, लेकिन हमें भारत सरकार के विशेष सहयोग की आवश्यकता है।
श्री बघेल ने बैठक को संबोधित करते हुए आगे कहा कि, सुराजी गांव योजना के अंतर्गत हमने ‘नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी’ के संरक्षण व विकास के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की पहल की है। राज्य में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट पर, रासायनिक उर्वरकों के समान ‘न्यूट्रिएंट बेस्ड सब्सिडी’ देने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है, जिसकी स्वीकृति का अनुरोध है।
उन्होने कहा कि हमने प्रदेश में लाख उत्पादन को कृषि का दर्जा दिया है। भारत सरकार से अनुरोध है कि लाख उत्पादन हेतु ‘किसान क्रेडिट कार्ड’ तथा ‘फसल बीमा योजना’ का लाभ दिया जाए। हमने अतिशेष धान से बायो-एथेनॉल उत्पादन हेतु 25 निवेशकों के साथ एमओयू किया है। इस संबंध में भारत सरकार की नीति में संशोधन की जरूरत है, जिसमें बायो-एथेनॉल उत्पादन के लिए प्रत्येक वर्ष कृषि मंत्रालय से अनुमति लेने का प्रावधान है, अतः प्रतिवर्ष के बंधन को समाप्त किया जाए। आधिक्य अनाज घोषित करने का अधिकार एनवीसीसी की जगह राज्य को मिलना चाहिए।
उन्होने कहा कि नक्सल प्रभावित जिलों से संबंधित 14 चिन्हित शासकीय गैरवानिकी कार्यों हेतु 40 हेक्टेयर तक भूमि व्यपवर्तन का अधिकार 31.12.2020 को कालातीत हो चुका है, जिसे पुनर्जीवित करने हेतु राज्य शासन द्वारा अनुरोध किया गया है, जिसकी स्वीकृति अपेक्षित है।
श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में केन्द्रीय बलों की तैनाती पर हुए सुरक्षा व्यय 11 हजार 828 करोड़ रुपए को भारत सरकार द्वारा राज्य पर बकाया दर्शाते हुए, छत्तीसगढ़ को गत वर्षों में केन्द्रीय करों की देय राशि में से 1 हजार 288 करोड़ रुपए का समायोजन कर दिया। हमारा अनुरोध है कि राज्य को मिलने वाली राशि को इस तरह से समायोजित नहीं किया जाए बल्कि सम्पूर्ण 11 हजार 828 करोड़ रुपए की राशि छत्तीसगढ़ सरकार को वापस मिले। भविष्य में भी राज्य के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में केन्द्रीय बलों की तैनाती का सम्पूर्ण व्यय भारत सरकार को वहन करना चाहिए।
उन्होने कहा कि नक्सलवादी क्षेत्रों में केन्द्रीय सुरक्षा बलों के 40 कैम्प स्थापित किए गए हैं। हमने 15 अतिरिक्त केन्द्रीय सशस्त्र बल की मांग की है, जिसमें ‘बस्तरिया बटालियन’ तथा ‘आईआर बटालियन’ शामिल है।‘पुलिस बल आधुनिकीकरण योजना’ में समूह ’ए’ में जम्मू एवं कश्मीर सहित 8 उत्तर-पूर्वी राज्यों को 90 प्रतिशत केन्द्रीय सहायता एवं शेष राज्यों को समूह ’बी’ के अंतर्गत 60 प्रतिशत केन्द्रीय सहायता दी जाती है। छत्तीसगढ़ को 40 प्रतिशत राशि राज्य के अंशदान के रूप में देना होता है। अनुरोध है कि छत्तीसगढ़ को समूह ‘ए’ में रखा जाए।