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कोलारस का कोलाहल और भोपाल में बहनजी का मायाजाल – अरुण पटेल

अरूण पटेल

कोलारस और मुंगावली के उपचुनाव की हालांकि अभी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है लेकिन कांग्रेस और भाजपा ने अभी से वहां इस कदर कोलाहल मचाना प्रारंभ कर दिया है मानों उपचुनावों की तारीखों का ऐलान हो गया हो। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कोलारस में विशाल किसान सम्मेलन में भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने की शुरुआत करने का आह्वान किया। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भोपाल के लाल परेड ग्राउंड पर शुक्रवार को सिर पर सोने का मुकुट पहन और हाथ में चांदी की तलवार थामकर अपने कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकारों को 2018 में उखाड़ फेंकने के लिए किसी भी सीमा तक जाने को तैयार रहें। वे स्वयं भी भाजपा को चुनाव में हराने के लिए किसी भी सीमा तक जायेंगी। इसी दिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने निर्वाचन क्षेत्र नसरुल्लागंज के सनकोटा गांव में आदिवासियों का दिल जीतने के मकसद से उन्हें नशे की आदत त्याग करने का अनुरोध करते हुए ऐलान किया कि आगामी 26 जनवरी से मध्यप्रदेश में भू-अधिकार अभियान चलाया जायेगा। जहां उसी दिन एक ओर कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कोलारस से तो मायावती ने भोपाल से शिवराज की अगुवाई वाली भाजपा सरकार को चक्रव्यूह में घेरने की कोशिश की। वहीं शिवराज ने आदिवासियों के बीच भाजपा की राह आसान करने का अभियान छेड़ दिया।

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बसपा कार्यकर्ताओं में जोश फूंकते हुए मायावती ने दो टूक शब्दों में यह साफ कर दिया कि उनका असली मकसद दोनों राज्यों में 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को सत्ता से बेदखल करना है। उन्होंने कहा कि बसपा तीसरी राजनीतिक ताकत है और उसे विधानसभा चुनाव में अहम् भूमिका अदा कर पिछड़ों और वंचितों को उनका अधिकार दिलाने के लिए भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने में अहम भूमिका निभाना है। मायावती का यह कहना सही है कि बसपा तीसरी ताकत है लेकिन यह भी जमीनी हकीकत है कि पहली व दूसरी ताकत के बाद जो तीसरी ताकत है वह इतनी कमजोर है कि अपने बलबूते पर न तो सत्ता की चाबी अपनी मुट्ठी में बंद करने की हैसियत रखती है और न ही स्वयं सत्ता में आने के लिए मजबूत दावेदारी पेश कर सकती है। मायावती के पहले भोपाल में आम आदमी पार्टी सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी राज्य में तीसरी राजनीतिक ताकत बनने का दावा ठोंक चुके हैं। उन्होंने सभी 230 क्षेत्रों में चुनाव लड़ने की घोषणा की है। नवम्बर माह में केजरीवाल के बाद मायावती की हुंकार तीसरी ताकत बनने की है तो अगले माह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को लाकर सपा भी अपनी कुछ हिस्सेदारी प्रदेश के राजनीतिक फलक पर सुनिश्चित करने का ताना-बाना बुन रही है। तीसरी ताकत तो कोई न कोई बनेगा लेकिन सवाल यही है कि यदि मायावती का लक्ष्य भाजपा को सत्ता से उखाड़ना है तो कहीं न कहीं उन्होंने अपरोक्ष रुप से किसी भी सीमा तक जाने के लिए कार्यकर्ताओं को तैयार रहने का जो मूलमंत्र दिया है उसका मकसद यही है कि भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस को मदद करने में उन्हें परहेज नहीं होगा। केवल उन्होंने यह रेखांकित अवश्य किया है कि वे किसी भी सूरत में भाजपा के साथ नहीं जायेंगी। इसका मतलब है कि मायावती भाजपा विरोधी गठबंधन को परोक्ष व अपरोक्ष रूप से मदद करेंगी।

मायावती ने भाजपा की दोनों राज्य सरकारों के खिलाफ हुंकार भरते हुए अपने कार्यकर्ताओं को भावनात्मक रूप से भी भाजपा से बदला लेने के लिए उन परिस्थितियों का हवाला दिया जिसके चलते उन्हें राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ा था। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इसका बदला चुनावों मे भाजपा को हराकर लेने के लिए उनके कार्यकर्ता अभी से संकल्पबद्ध होकर पूरी ताकत से भिड़ जायें। मायावती ने कहा कि राज्यसभा में भाजपा व उसके सहयोगी दलों ने मुझे दलितों के पक्ष में बोलने नहीं दिया और सहारनपुर हिंसा के दौरान मुझे जान से मारने की उन्होंने साजिश रची थी। ऐसे में मेरे पास इस्तीफे के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था। कार्यकर्ताओं को चाहिए कि 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को दोनों राज्यों की सत्ता से हटाकर मेरे इस्तीफे का बदला लें। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा इन दिनों मायावती के कोर वोटबैंक दलितों में सेंधमारी के लिए पूरी ताकत से प्रयास कर रही है, शायद इसीलिए मायावती को कहना पड़ा कि भाजपा हिंदुत्व के एजेंडे पर कार्य कर रही है और सियासी फायदे के लिए राम मंदिर का मुद्दा उठाती है। इससे दलितों को गुमराह नहीं होना चाहिये। राम मंदिर बनने से दलितों व वंचितों को कोई फायदा नहीं होगा, यह कह कर उन्होंने अपने कोर वोटबैंक में लगने वाली सेंधमारी को रोकने की कोशिश की।

कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के संभावित दावेदार ज्योतिरादित्य सिंधिया इन दिनों कोलारस व मुंगावली क्षेत्रों में पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं और दोनों उपचुनाव जीतने के लिए उन्होंने पूरी तरह से कमर कस ली है। मुंगावली में पिछले दिनों एक बड़ा दलित सम्मेलन आयोजित कर सिंधिया सीधे-सीधे शिवराज सरकार को चुनौती दे चुके हैं कि दलितों से क्यों लड़ते हो लड़ना है तो मुझसे लड़ो। दलितों को लामबद्ध करने के साथ ही वे किसानों को भी अपने साथ जोड़ने की जी-तोड़ कोशिश कर रहे हैं। मुंगावली के कालेज में सिंधिया को आमंत्रित करने पर वहां के दलित प्राचार्य के विरुद्ध सरकार ने कार्रवाई की थी, इसी संदर्भ में ही सिंधिया ने कहा कि लड़ना है तो मुझसे लड़ो। जिस प्रकार चित्रकूट का उपचुनाव नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बीच प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया था वैसे ही ये दोनों उपचुनाव सीधे-सीधे एक प्रकार से ज्योतिरादित्य व शिवराज के बीच मुकाबले के रहेंगे। एक तरफ शिवराज मुख्यमंत्री हैं और उनके चेहरे पर भाजपा चौथी बार सरकार बनाने के लिए चुनावी समर में उतरेगी तो कांग्रेस का चेहरा सिंधिया हो सकते हैं। कोलारस में एक किसान आक्रोश जनसभा को सम्बोधित करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जहां टीकमगढ़ के एक थाने में प्रदर्शनकारी किसानों को निर्वस्त्र कर पीटने की घटना का हवाला दिया तो वहीं दूसरी ओर मंदसौर गोलीकांड की याद भी ताजा कराई। अपने चिरपरिचित और जोशीले अंदाज में सिंधिया ने शिवराज सरकार को घेरते हुए कहा कि किसानों को निर्वस्त्र करने वाली और उनकी छातियों पर गोली बरसाने वाली सरकार को उखाड़ फेंकने का समय अब आ गया है। उनका आरोप था कि सरकार सत्ता के मद में चूर हो गयी है और अन्नदाता को हक मांगने पर गोली बरसाई जा रही है तथा फसल का सही भाव मांगने पर उन्हें निर्वस्त्र कर प्रताड़ित व अपमानित किया जा रहा है। उपचुनावों के दौरान जिस प्रकार शिवराज की रणनीति रहती है उसका खाका खींचते हुए सिंधिया ने कहा कि जहां 14 साल से मुख्यमंत्री और उनकी सरकार का कोई मंत्री नहीं आया लेकिन अगले महीनों में यहां उपचुनाव होने वाले हैं इसलिए पूरी सरकार मंच सजाकर आयेगी और मामा मुख्यमंत्री व उनके मंत्री विकास का तराना सुनायेंगे तथा दुहाइयां दी जायेंगी। आप धैर्य के साथ सुन लेना और उसके बाद भाजपा की बिदाई कर देना। दोनों उपचुनाव के नतीजों के साथ ही भाजपा की बिदाई की राह आसान हो जायेगी, ऐसा भरोसा सिंधिया को है। सिंधिया और शिवराज में से किसकी बातें मतदाताओं के ज्यादा गले उतरीं इसका पता उपचुनावों के नतीजे से चल जायेगा। फिलहाल सिंधिया को पूरा भरोसा है कि यहां भी अटेर और चित्रकूट जैसे नतीजे कांग्रेस के पक्ष में आयेंगे।

 

सम्प्रति-लेखक श्री अरूण पटेल अमृत संदेश रायपुर के कार्यकारी सम्पादक एवं भोपाल के दैनिक सुबह सबेरे के प्रबन्ध सम्पादक है।