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परसाई के नाटकों ने दर्शकों पर छोड़ी अपनी गहरी छाप

रायपुर 26 नवम्बर।राजधानी के सबसे पुराने और प्रतिष्ठ छत्तीसगढ क्लब के आडिटोरियम मे कल रात हरिशंकर परसाई की चार रचनाओ पर आधारित नाटको के ज़रिये गुरू परसाई के रंग छाये रहे।

आडिटोरियम मे बैठे दर्शक व्यवस्था पर हो रहे कटाक्ष और तीखे व्यग्यं को देख सुनकर ,खिसियानी हँसी हँसते हुए तालियाँ बजाते रहे।छत्तीसगढ फ़िल्म एंड विजुअल आर्ट सोसाइटी की जंयत देशमुख के निर्देशन मे हुई “ मृत्त्युजंय “ के बाद की यह दूसरी प्रस्तुति एक बार फिर दर्शकों पर अपना गहरा असर छोड़ गई । सभी ने मुक्तकंठ से नाट्य प्रस्तुति और कलाकारो के अभिनय की प्रशंसा की ।

पहली प्रस्तुति भोलाराम का जीव की हुई जिसका निर्देशन श्रीमती रचना मिश्रा ने किया ।दूसरा नाटक “मै नर्क से बोल रहा हूँ “ के ज़रिये परसाईजी की तीन रचनाओ की प्रस्तुति की गई जिसका निर्देशन जबलपुर के सुप्रसिद्ध अभिनेता निर्देशक नवीन चौबे ने किया।जबलपुर के ही संतोष राजपूत ने पुन:इस नाटक को अपने निर्देशन मे तैयार करवाया।पहली प्रस्तुति “मेनका का तप “ की हुई।दूसरी प्रस्तुति “प्रेमियों की वापसी “और तीसरी प्रस्तुति “ मै नर्क से बोल रहा हूँ “ की हुई।

भोलाराम का जीव लालफीताशाही के शिकार एक ऐसे आदमी की कथा है जो एक सरकारी दफ्तर का कर्मचारी है और रिटायरमेंट के 5 साल बाद भी अपनी पेंशन के लिए ऑफिस के चक्कर लगाता है पर उसकी पेंशन नहीं मिल पाती। इस बीच पैसे के अभाव और बीमारी के कारण उसकी मृत्यु हो जाती है परंतु उसके प्राण उसकी पेंशन की फाइल अटकी रहते हैं यमराज के दरबार में ऐसा पहली बार होता है कि कोई जीव यमराज के दूतों को चकमा देकर गायब हो जाता है चित्रगुप्त सहित यमराज का पूरा सिंहासन इस से डूब जाता है और यमराज नारद की मदद लेकर भोलाराम के जीव को ढूंढने पृथ्वीलोक भेजते हैं ।पृथ्वी लोक पर आकर नारदजी ,जो कुछ देखते हैं उसे देखकर वे बहुत अचंभित होते हैं उनकी मुलाकात भोलाराम के परिवार से मुलाकात होती है और पूछताछ करने पर मालूम होता है कि अभी तक उसके परिवार को पेंशन नहीं मिली है भोलाराम के परिवार की स्थिति देखकर पेंशन दिलाने के लिए नाराज जी उसके दफ्तर जाते हैं जहां उसकी मुलाकात उसके दफ्तर के कर्मचारियो से होती है ।दफ्तर में भोलाराम के पेंशन के बदले नाराज जी को अपनी वीणा देनी पड़ती है तब जाकर भोलाराम की फाइल आगे बढ़ती है और इन्ही फाइलों के बीच मे से निकलता है भोलाराम का जीव !

भोलाराम का जीव की यह तीसरी प्रस्तुति थी श्रीमती रचना मिश्रा के निर्देशन में ।नारद की भूमिका में क्रान्ति दीक्षित ,यमराज की भूमिका में स्वप्निल हुद्दार ,चित्रगुप्त अजय जगत, देव दूत की भूमिका में मुकेश यादव ,मां की भूमिका में शालिनी त्रिपाठी ,बेटी की भूमिका में रिशिता दीवान ,बड़े साहब की भूमिका मे हेमंत यादव बड़े बाबू की भूमिका में अमित ठाकुर भोलाराम की भूमिका में साकेत साहू ,ऑफिस स्टाफ में गौरव मुझे मोनिका सिंह ठाकुर संजीव मुखर्जी प्रीति नायक थे मंच पर रंग संगीत डॉ सुयोग पाठक और राजा महानंद ने प्रस्तुत किया । नाटक के गाने लिखे थे सुभाष मिश्रा ने और नाट्य रूपांतरण किया था अरुण पांडे ने ।नाटक की प्रकाश परिकल्पना संतोष राजपूत और आनंद पांडे की थी ।भोलाराम का जीव की सशक्त प्रस्तुति के बाद परसाई जी की तीन रचनाओं का कोलाज “मैं नर्क से बोल रहा हूं “का मंचन किया गया ।इसमें सबसे पहले मेनका का तद्भव दूसरी प्रस्तुति के रूप में प्रेमियों की वापसी और तीसरा मैं नर्क से बोल रहा हूं ।इन तीनों नाटकों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई क्रांति दीक्षित ,अमित सिंह ठाकुर ,निशु पांडे हेमंत यादव ,संजीव मुखर्जी ,अजय जगत साकेत साहू , दिलेश साहू स्वप्निल हुद्दार  गौरव मुझेवार ,रचना मिश्रा ,पूनम त्रिपाठी प्रीति नायक ,शालिनी त्रिपाठी ,मुकेश यादव और आनंद कुमार पांडे ने किया ।इस नाटक की प्रकाश कल्पना संतोष राजपूत ने की ।इस नाटक का नाट्य रूपांतरण अरुण पांडे ने किया था ।

संगीत संयोजन सुभाष मिश्र का था और इस नाटक के निर्देशक थे नवीन चौबे छत्तीसगढ़ फिल्म एंड विजुअल आर्ट सोसायटी की छत्तीसगढ़ क्लब में हुई इस प्रस्तुति को सभी दर्शकों ने खूब सराहा और नाटक के उपरांत सभी कलाकारों से मिलकर उन्हें व्यक्तिगत रूप से बधाई नर्क से बोल रहा हूं नाटक मैं अलग-अलग तीन कथाओं के माध्यम से पौराणिक कथाओं का सहारा लेकर ऐसी फैंटसी रची गई है जिसमें मनुष्य को मनुष्य होने का पाठ पढ़ाया गया है नर्क से बोल रहा हूं एक तरह का आईना है जिसमें मनुष्य अपनी वास्तविक शक्ल देख सकता है ।ईश्वर की सबसे श्रेष्ठ कृति समझे जाने वाले मनुष्य में यदि संघर्षशीलता खत्म हो जाए तो ईश्वर को यह कहने पर विवश होना पड़ता है कि मैं मनुष्य की जगह पृथ्वी पर कुत्ते ही कुत्ते पैदा करूंगा ताकि वह अपने हक के लिए संघर्ष कर सकें ।परसाई जी की रचनाओं में निहित व्यंग्य नाटक के जरिए दर्शकों तक पहुंचा और दर्शक इस नाटक के मर्म को अच्छी तरह समझ पाए।