रूस यूक्रेन जंग के बाद खूब सुर्खियों में है ताइवान स्ट्रेट, क्या है विशेषज्ञों की राय..
What is Taiwan Strait: रूस यूक्रेन जंग के बाद ताइवान स्ट्रेट खूब सुर्खियों में है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ताइवान स्ट्रेट सुर्खियों में क्यों हैं। चीन और ताइवान के बीच ताइवान स्ट्रेट क्या फैक्टर है। ताइवान स्ट्रेट पर अमेरिका की क्या दिलचस्पी है। क्या तीसरे विश्व युद्ध का शुभारंभ ताइवान स्ट्रेट से हो सकता है। ताइवान पर क्या है अमेरिका की बड़ी रणनीति। आइए जानते हैं कि पूरा मामला क्या है। क्या है इस पर विशेषज्ञों की राय।
1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि ताइवान स्ट्रेट में पहली बार महायुद्ध के हालात पैदा हुए हैं। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में भी ताइवान स्ट्रेट चर्चा में रहा है, लेकिन तब वहां चीनी सेना की सक्रियता के कारण सुर्खियों में रहा है। हाल में अमेरिकी कांग्रेस की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की यात्रा के बाद चीन और अमेरिका के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। अब यह तनाव ताइवान स्ट्रेट के समीप दिख रहा है। दोनों देश ताइवान स्ट्रीट पर अपने अत्याधुनिक हथियारों का प्रदर्शन कर रहे हैं। अमेरिकी सेना ने इस स्ट्रेट में अपने महाविनाशक एयरक्राफ्ट कैरियर को तैनात किया है। उधर, चीन ने अपने खरतरनाक हथियारों का प्रदर्शन करके ताइवान को धमकाने में जुटा है।
2- उन्होंने कहा कि ताइवान स्ट्रेट में चीन के बाद अमेरिकी सेना के दस्तक से यह तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। अमेरिकी सेना ने अपने महाविनाशक हथियारों की तैनाती इस क्षेत्र में की है। उधर, चीनी सेना पहले से ही यहां अपने खतरनाक हथियारों के साथ युद्धाभ्यास कर रही है। उन्होंने कहा कि अब अमेरिका चीन को उसी की भाषा में जवाब देने को तत्पर दिख रहा है। उन्होंने कहा कि थोड़ी सी चूक एक बड़ी जंग की भूमिका तैयार कर सकती है। उन्होंने कहा कि बाइडन प्रशासन अब चीन के आगे झुकने को बिल्कुल तैयार नहीं है।
3- उन्होंने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच ताइवान को लेकर कूटनीतिक समाधान की विफलता के बाद यह तय माना जा रहा था कि इस तनाव की परिणति युद्ध में तब्दील हो सकती है। शुरुआत में बाइडन प्रशासन ने ताइवान पर चुप्पी साध रखी थी, इससे चीन के हौसले बढ़े हुए थे। हाल में बाइडन प्रशासन ने चीन को यह बता दिया कि वह ताइवान पर अपने पूर्ववर्ती स्टैंड पर कायम है। इसके बाद अपने सातवें बेड़े को इस क्षेत्र में भेजना और नैंसी पेलोसी की ताइवान की यात्रा के बाद उसने अपने स्टैंड को साफ कर दिया। इसके बाद ताइवान स्ट्रेट पर अमेरिकी जंगी जहाज की तैनाती के बाद चीन बैकफुट पर दिख रहा है।
4- प्रो पंत ने कहा कि हालांकि, अमेरिका ने अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं। चीन अभी इस बात को लेकर दुविधा में है कि आखिर अमेरिका को वह किस हद तक मदद कर सकता है। चीन-ताइवान युद्ध की स्थिति में क्या अमेरिकी सेना उसके पक्ष में खड़ी होगी या अमेरिका, यूक्रेन की तरह बाहर से मदद करेगा। बाइडन प्रशासन ने अभी अपने पत्तों को जानबूझ कर नहीं खोला है। वह चीन को भ्रम में रखना चाहता है। दोनों देश ताइवान स्ट्रीट पर अपने अत्याधुनिक हथियारों का प्रदर्शन कर रहे हैं। अमेरिकी सेना ने अपने महाविनाशक एयरक्राफ्ट कैरियर को तैनात किया है। उधर, चीन ने अपने खरतरनाक हथियारों का प्रदर्शन करके ताइवान को धमकाने में जुटा है।
आखिर क्या है ताइवान स्ट्रेट
आजकल ताइवान स्ट्रेट खुब सुर्खियों में हैं। ऐसे में यह जिज्ञासा उत्पन्न होती है कि आखिर यह ताइवान स्ट्रेट क्या है। इस क्षेत्र में चीन, अमेरिका की सेना क्यों डेरा डाले हुए हैं। ताइवान स्ट्रेट ही वह इलाका है, जहां अमेरिकी कांग्रेस की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की यात्रा के बाद इसी क्षेत्र में चीनी सेना युद्धाभ्यास कर रही है। दरअसल, ताइवान चीन के दक्षिण में स्थित चीन और ताइवान के बीच में जो समुद्री पानी का इलाका उसे ताइवान स्ट्रेट कहते हैं। इस ताइवान जलसंधि के नाम से जाना जाता है। सामान्यत दोनों देश इसे अपने व्यापार के लिए इस्तेमाल करते हैं। यह इलाका चीन और ताइवान की सेना द्वारा पेट्रोलिंग के रूप में इस्तेमाल करते हैं। यह दोनों देशों के बीच एक जल सीमा रेखा है। सामान्यत दोंनों देश इसका संयुक्त रूप से इस्तेमाल करते हैं। छोटे जहाज भी इस रास्ते का प्रयोग करते हैं।
क्या अमेरिका ताइवान स्ट्रेट में अपने जंगी जहाज भेज सकता है
प्रो पंत का कहना है कि ताइवान स्ट्रेट में अमेरिकी नौसेना सक्रिय हो गई है। ताइवान स्ट्रेट में अमेरिका के जंगी पोत पहुंच चुके हैं। ऐसा पहली बार हुआ है, जब ताइवान स्ट्रेट पर सेनाओं का जमावड़ा हो रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका जानबूझ कर इस इलाके में प्रवेश कर रहा है। इसके जरिए वह ताइवान की सुरक्षा के साथ यह भी संदेश दे रहा है कि ताइवान स्ट्रेट पर किसी एक देश का अधिकार नहीं है। अमेरिका ने नौसेना के जंगी जहाजों को भेज कर यह अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक अमेरिका किसी भी समुद्र मे अपने जहाजों का आवागमन कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय कानून उसे इस बात की छूट देते हैं।