रायपुर 01 नवम्बर।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि पूरी दुनिया के आदिम सांस्कृतिक मूल्यों को जब हम बचाए रखेंगे, तभी हमारी एकजुटता बची रहेगी और प्राकृतिक संतुलन के साथ विकास की अवधारणा साकार हो सकेगी।
श्री बघेल ने आज यहां साइंस कॉलेज मैदान में आयोजित भव्य समारोह में तीसरे राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव और छत्तीसगढ़ राज्योत्सव का शुभारंभ करते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किए। उन्होंने दीप प्रजज्वलित कर एवं आदिवासी वाद्ययंत्र नगाड़ा बजाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
श्री बघेल ने सभी राज्यों के नर्तक दल और विदेशी मेहमानों का हार्दिक स्वागत करते हुए प्रदेशवासियों को राज्य स्थापना दिवस और तीसरे राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव की बधाई दी।स्वागत कार्यक्रम में देश के 28 राज्यों, 7 केन्द्र शासित प्रदेश सहित 10 देशों मोज़ाम्बिक, टोगो, ईजिप्ट, मंगोलिया, इंडोनेशिया, रूस, न्यूजीलैंड, सर्बिया, रवांडा और मालदीव के कलाकारों ने आदिवासी नृत्य की झलक दिखाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। इस आयोजन में लगभग 1500 देशी-विदेशी कलाकार शिरकत कर रहे हैं।
श्री बघेल ने कहा कि मनुष्य का इतिहास जितना पुराना है उतना ही पुराना नृत्य का इतिहास है। दुनियाभर के आदिवासियों की नृत्य शैली, वाद्ययंत्र में समानता है। यह अद्भुद संयोग है कि दुनियाभर के आदिवासी नृत्यों की शैली, ताल, लय में बहुत समानताएं हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि पूरी दुनिया के आदिवासियों का हृदय एक ही है। उन हृदयों के भाव एक ही हैं। उनके सपने, उनकी आशाएं और उनकी इच्छाएं एक ही हैं। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का उद्देश्य आदिम संस्कृति को बचाये रखना है।
उन्होने कहा कि आज छत्तीसगढ़ का राज्य स्थापना दिवस है। आज हमारा विजय दिवस है, क्योंकि आज ही के दिन हमारे पुरखों का संघर्ष सफल हुआ था। हर बार 01 नवंबर को छत्तीसगढ़िया लोगों का दिल उल्लास से भरा होता है। उनका मन थिरक उठता है। राज्य स्थापना दिवस के साथ राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का यह स्वभाविक संगम है।उन्होने सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और दुनिया भर के जनजातीय कलाकारों को धन्यवाद देते हुए कहा कि देश दुनिया के आदिवासी कलाकार हमारी खुशियों में शामिल होने आए हैं। वे हमारे साथ थिरक रहे हैं और अपनी सांस्कृतिक खूबसूरती के रंगों से हमारी संस्कृति को और भी सुंदर बना रहे हैं।
श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी कलाकारों को विदेश में प्रस्तुति का अवसर और मंच प्रदान करने के लिए राज्य सरकार और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद नई दिल्ली के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) हेतु सहमति बनी है जिससे आदिवासी संस्कृति के प्रसार और विनिमय का दायरा बढ़ेगा।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ.चरणदास महंत ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि हमें छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति, मूल विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए जनमत मिला था।राज्य सरकार छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़िया और छत्तीसगढ़ी की उन्नति के लिए बहुत बेहतर ढ़ंग से काम कर रही है। राज्य सरकार की योजनाओं से किसानों, गरीबों और पिछड़ों को न्याय मिल रहा है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ को विकसित राज्य बनाने के लिए सभी को गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के संकल्प के साथ आगे बढ़ना होगा।