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छत्तीसगढ़ में अब तक 494 राजस्व न्यायालय ई-कोर्ट में तब्दील – पाण्डेय

रायपुर 08 दिसम्बर।सूचना प्रौद्योगिकी का बेहतर इस्तेमाल करते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के सभी 704 राजस्व न्यायालयों को ई-कोर्ट में बदलने की योजना है।अब तक 494 न्यायालयों को आन लाइन करते हुए उन्हें ई-कोर्ट में परिवर्तित कर दिया है।

प्रदेश के राजस्व, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभागों के मंत्री  प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने आज यहां अपनी विभागीय उपलब्धियों की जानकारी पत्रकारों को देते हुए कहा कि जिन राजस्व न्यायालयों को ई-कोर्ट में बदला गया हैं कि  इनमें कलेक्टर कोर्ट से लेकर एसडीओ, तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों के न्यायालय भी शामिल हैं।शेष राजस्व न्यायालय भी बहुत जल्द ई-कोर्ट में परिवर्तित हो जाएंगे।

उन्होने बताया कि अब राजस्व न्यायालयों में मिलने वाले सभी आवेदन आन लाइन ई-कोर्ट में दर्ज होते हैं। आवेदक को उसकी पावती भी दी जाती है। इससे मामलों के निराकरण में तेजी आ रही है और पारदर्शिता भी बढ़ रही है।गत चार वर्ष में राजस्व प्रशासन ने पारदर्शिता लाने और प्रशासन को जनोन्मुखी बनाने उनके विभाग द्वारा कई नये और कामयाब प्रयोग (नवाचार) किए गए हैं। भू-अभिलेखों की जानकारी आम जनता तक आसानी से पहुंच सके इसके लिए हमने भुइंयां और भू-नक्शा साफ्टवेयर का एन्ड्रायड वर्जन बनाकर एक मोबाइल एप्प भी तैयार किया है, जिसे गूगल प्ले स्टोर से डाउन लोड कर अपने मोबाइल फोन में इंस्टाल किया जा सकता है।

राजस्व मंत्री ने बताया कि अब तक सभी तहसीलों में खोले गए लोक सेवा केन्द्रों में आवेदन प्रस्तुत करने के बाद आवेदक अपनी जमीन के अभिलेखों की कम्प्यूटीकृत नकल प्राप्त करता था, इसके लिए उसे वहां तक आना-जाना पड़ता था। लेकिन अब उसे यह सुविधा आॅनलाइन कहीं पर भी आसानी से मिल जाएगी।

श्री पाण्डेय ने बताया कि आम जनता की सुविधा की दृष्टि से विगत 14 वर्ष में 11 नये जिलों का निर्माण किया गया, जिससे जिलों की संख्या 27 हो गई। वर्ष 2004 में एक भी राजस्व संभाग नहीं था, जबकि जनता की जरूरतों को देखते हुए विगत 14 साल में पांच राजस्व संभागों की स्थापना की गई। राजस्व अनुविभागों की संख्या 61 से बढ़ाकर 88, तहसीलों की संख्या 98 से बढ़ाकर 150, राजस्व निरीक्षक मंडलों की संख्या 229 से बढ़ाकर 283 और पटवारी हल्कों की संख्या 3086 से बढ़कर 5777 तक पहुंच गई।  उन्होने बताया कि   विगत 14 वर्ष में प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक आपदा पीड़ितों की मदद के लिए संवेदनशीलता के साथ राहत राशि में भी काफी वृद्धि की है। इसके लिए आरबीसी 6-4 में संशोधन किया गया है। प्राकृतिक विपदाओं में मृत्यु होने मृतक के परिवार को मिलने वाली राहत राशि एक लाख 50 हजार से बढ़ाकर चार लाख रूपए कर दी गई है। पानी में डूबने या सर्पदंश से होने वाली मृत्यु को भी प्राकृतिक आपदा मानकर ऐसे पीड़ित परिवारों को बढ़ी हुई दर पर राहत  राशि दी जा रही है।

उच्च शिक्षा विभाग की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए श्री पाण्डेय ने बताया कि प्रदेश में अब कोई भी सरकारी कालेज भवन विहीन नहीं रह गया है। नये कालेजों के लिए भी नये भवन स्वीकृत किए गए हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2004 में राज्य में एक भी केन्द्रीय विश्वविद्यालय नहीं था। मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह के विशेष प्रयासों से बिलासपुर में गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। विगत 14 साल में प्रदेश में सरकारी विश्वविद्यालयों की संख्या तीन से बढ़कर आठ हो गई। विगत 14 वर्ष में राज्य में 116 से ज्यादा नये सरकारी कालेज खोले गए। इस दौरान सरकारी और प्राइवेट मिलाकर कालेजों की संख्या 184 से बढ़कर 439 हो गई।आज की स्थिति में प्रदेश में 221 सरकारी कालेज संचालित हो रहे हैं।

तकनीकी शिक्षा विभाग का उल्लेख करते हुए श्री पाण्डेय ने बताया कि प्रदेश में 14 साल में तकनीकी शिक्षा सुविधाओं का अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। भिलाई नगर में स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.आई.टी) का भी कैम्पस भिलाई में मंजूर हो चुका है। इसके लिए केन्द्र सरकार ने एक हजार करोड़ रूपए से ज्यादा राशि का आवंटन भी आई.आई.टी. के निदेशक को जारी कर दिया है। नया रायपुर में ट्रिपल आईटी की स्थापना भी राज्य की एक बड़ी उपलब्धि है। प्रदेश में इंजीनियरिंग कालेजों की संख्या 12 से बढ़कर 47 और उनमें प्रवेश क्षमता तीन हजार 485 से बढ़कर 19 हजार 297 हो गई।

श्री पाण्डेय ने बताया कि मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह ने तकनीकी शिक्षा पर विशेष जोर दिया है। अब छत्तीसगढ़ के सभी 27 जिलों में शासकीय पालीटेक्निक संस्थान खुल चुके हैं। महिलाओं के लिए चार पालीटेक्निक खोले गए हैं। इन सबको मिलाकर राज्य में कुल 32 सरकारी और 28 प्राइवेट पालीटेक्निक चल रहे हैं।महिलाओं को तकनीकी शिक्षा में प्रोत्साहन देने के लिए सरकारी इंजीनियरिंग कालेजों और सरकारी पालीटेक्निक संस्थाओं में स्नातक और डिप्लोमा स्तर के पाठ्यक्रमों में उनको वर्ष 2014-15 से शिक्षण शुल्क से मुक्त कर दिया गया है। इसी तरह शासकीय कालेजों में भी स्नातक स्तर तक बालिकाओं को शिक्षण शुल्क से मुक्त रखा गया है।