जाने-माने उद्योगपति नवीन जिन्दल के नेतृत्व वाली कंपनी जिन्दल स्टील एंड पावर उन चंद अग्रणी संस्थाओं में से एक है, जिसने कोविड-19 के खिलाफ जंग में सरकार और आम लोगों की मदद के लिए अनेक सराहनीय कार्य किये। जेएसपी के सामाजिक दायित्वों का निर्वहन कर रहे जेएसपी फाउंडेशन ने चेयरपर्सन श्रीमती शालू जिन्दल के मार्गदर्शन में गरीबों, जरूरतमंदों को कोविड-19 के कारण उत्पन्न संकट से बचाने के लिए अग्रिम मोर्चे से लड़ाई लड़ी। इस महामारी की भयावहता का अंदेशा होते ही जेएसपी फाउंडेशन सबसे पहले पूरी तैयारी के साथ समाज के वंचित वर्गों की सुरक्षा के लिए आगे आया।
श्रीमती शालू जिन्दल ने कोविड काल में जेएसपी फाउंडेशन की सेवाओं के लिए फिक्की सीएसआर विशेष प्रशस्ति सम्मान मिलने पर कहा कि“कोविड-19 महामारी ने समाज और अर्थव्यवस्था के साथ-साथ पूरे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गहरा आघात किया था। करोड़ों गरीब और वंचित वर्गों के परिवार इस महामारी के कारण संकटों से घिर गए। ऐसे में जिन्दल स्टील एंड पावर देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए सरकार और समुदायों की मदद के लिए आगे आया और अस्पताल सुविधा उपलब्ध कराने के साथ-साथ देश के 13 राज्यों में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन पहुंचाई और लाखों गरीबों-जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराकर उनका जीवन सुरक्षित रखने में योगदान किया।”
जेएसपी ने मार्च 2020 में लॉकडाउन की घोषणा होने के तुरंत बाद “मिशन जीरो हंगर” के तहत ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड में ट्रकचालकों, प्रवासी कामगारों और गरीबों के लिए भोजन का बंदोबस्त किया। बाद में यह अभियान दिल्ली, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में भी चलाया गया और लगभग 20 लाख लोगों के लिए भोजन का बंदोबस्त किया गया।
महामारी के दूसरे चरण में जब देशभर के अस्पतालों में ऑक्सीजन का भारी संकट उत्पन्न हुआ तब सड़क और रेल के माध्यम से जेएसपी ने 5000 टन से अधिक लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति 13 राज्यों में की।एलएमओ की ढुलाई के लिए ओडिशा सरकार को दो विशेष टैंकर भी दिये गए।
छत्तीसगढ़ के रायगढ़, तमनार और ओडिशा के अंगुल में आईसीयू, वेंटिलेटर और अन्य आधुनिक सुविधाओं वाले विशेष कोविड केयर सेंटर स्थापित किये गए। जेएसपी फाउंडेशन ने इसके अलावा लाखों फेसमास्क और हजारों लीटर सैनिटाइजर समुदायों और कोविड वारियर्स के बीच बांटे। प्लांट के आसपास के किसानों और स्वयंसहायता समूह से जुड़ी महिलाओं की आय बनाए रखने के लिए जेएसपी ने कॉलोनियों के दरवाजे खोल दिये और उनके सामान की खरीदारी की व्यवस्था की।