लखनऊ 25 दिसम्बर।ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक को लेकर अपना चिरपरिचत रवैया फिर उजागर करते हुए केंद्र सरकार से संसद के चालू सत्र में तीन तलाक विधेयक को पेश नही किए जाने की मांग की है।
मुस्लिम लॉ बोर्ड की कल यहां हुई बैठक में प्रस्तावित बिल को लेकर चर्चा हुई जिसमें प्रस्तावित विधेयक को मुस्लिम महिलाओं की परेशानियां बढ़ाने वाला बताया गया। बोर्ड के अनुसार प्रस्तावित विधेयक उच्चतम न्यायालय फैसले की भावना के खिलाफ है।बोर्ड ने विधेयक का मसौदा बनाते समय इसमें मुस्लिम पक्ष को शामिल नही करने पर भी सवाल उठाया।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने पत्रकारों को बताया कि बैठक में सरकार के प्रस्तावित विधेयक के बारे में विस्तार से चर्चा की गई.।बोर्ड का मानना है कि तीन तलाक संबंधी विधेयक का मसौदा मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों, शरियत तथा संविधान के खिलाफ है।इसके अलावा यह मुस्लिम पर्सनल लॉ में दखलंदाजी की भी कोशिश है।अगर यह विधेयक कानून बन गया तो इससे महिलाओं को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
श्री जिलानी ने कहा कि इस बिल में तीन साल की सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान है, लेकिन जुर्माना सरकार की जगह तलाकशुदा महिला को दिया जाना चाहिए था,ऐसा इस बिल में कुछ नहीं है।
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