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महिलाओं ने समाज में हो रहे सकारात्मक बदलाव में दिया महत्वपूर्ण योगदान – मोदी

नई दिल्ली 28 जनवरी।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि देश की महिला शक्ति ने समाज में हो रहे सकारात्मक बदलाव में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि नारी शक्ति अग्रणी भूमिका अदा कर रही है।

श्री मोदी ने आज आकाशवाणी पर मन की बात कार्यक्रम में यह विचार व्यक्त करते हुए कहा कि  भारत की महिलाएं सभी क्षेत्रों में राष्ट्र का गौरव बढ़ा रही हैं।उन्होने कहा कि एक फरवरी को अंतरिक्ष में जाने वाली कल्पना चावला की पुण्य तिथि है। यह सबके लिए दुख की बात है कि हमने कल्पना चावला जी को इतनी कम उम्र में खो दिया। लेकिन उन्होंने अपने जीवन में पूरे विश्व में, खासकर भारती की हजारों लड़कियों को, यह संदेश दिया कि नारी-शक्ति के लिए कोई सीमा नहीं है। यह देखकर काफी खुशी होती है कि भारत में आज महिलाएं हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहीं हैं।

पौराणिक ग्रंथों का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि एक बेटी दस बेटों के बराबर है और नारी शक्ति न केवल पूरे परिवार को बल्कि पूरे समाज को एकसूत्र में बांधती है।नारी शक्ति का महत्व बताते हुए श्री मोदी ने कहा कि मुंबई का माटुंगा स्टेशन एक मात्र ऐसा स्टेशन है, जहां सभी कर्मचारी महिलाएं ही हैं। श्री मोदी ने छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में कार्यरत जनजातीय महिलाओं के जीवट की भी सराहना की, जो ई-रिक्शा चलाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं।

उन्होने कहा कि..छत्तीसगढ़ का दन्तेवाड़ा इलाका, जो माओवाद-प्रभावित क्षेत्र है। ऐसे खतरनाक इलाके में आदिवासी महिलाएं, ई-रिक्शा चला कर आत्मनिर्भर बन रही हैं। बहुत ही थोड़े कालखंड में कई सारी महिलाएं इससे जुड़ गयी हैं और सिर्फ एक तरफ जहां स्वरोजगार ने उन्हें सशक्त बनाने का काम किया है वहीं इससे माओवाद-प्रभावित इलाके की तस्वीर भी बदल रही है..।

श्री मोदी ने बिहार में सामाजिक कुप्राथाओं और कुरीतियों के खिलाफ 13 हजार किलोमीटर लम्बी मानव श्रृंखला बनाए जाने के लिए राज्य सरकार की सराहना की। उन्होंने समाज से सामजिक कुरीतियों को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए देशवासियों का आह्वान किया।

उन्होने कहा कि इस अभियान के द्वारा लोगों को बाल-विवाह और दहेज-प्रथा जैसी बुराइयों के खिलाफ जागरूक किया गया। बच्चे, बुजुर्ग, जोश और उत्साह से भरे युवा, माताएं, बहनें हर कोई अपने आप को इस जंग में शामिल किये हुए थे। पटना का ऐतिहासिक गांधी मैदान से आरंभ हुए मानव-श्रृंखला राज्य की सीमाओं तक अटूट-रूप से जुड़ती चली गई। समाज के सभी लोगों को सही मायने में विकास का लाभ मिले इसके लिए जरूरी है कि हमारा समाज इन कुरीतियों से मुक्त हो।