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आदर्श राज्य के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त की हैं छत्तीसगढ़ ने – राज्यपाल

रायपुर 05 फरवरी।छत्तीसगढ़ के  राज्यपाल बलरामजी दास टंडन ने कहा कि उनकी सरकार ने गांव, गरीब, किसान, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों जैसे प्रत्येक वर्ग के लोगों के लिए विशिष्ट प्राथमिकता से कार्य किया। विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से प्रगति दर्ज करने के साथ ही विशिष्ट जनहितकारी योजनाओं को लागू करने वाले आदर्श राज्य के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त की है।

श्री टंडन ने आज विधानसभा में अपने अभिभाषण में कहा कि सरकार ने बच्चों, महिलाओं, युवाओं, दिव्यांगजनों और बुजुर्गों की आवश्यकताओं को बारीकी से समझकर उसके अनुसार नीतियां, योजनाएं बनाई और उन्हें लाभान्वित किया।

राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि गत 14 वर्षों में विभिन्न फसलों के उत्पादन जैसे-चावल में 47 प्रतिशत, गेहूं में 147 प्रतिशत, दलहन में 43 प्रतिशत, तिलहन में 158 प्रतिशत कुल खाद्यान्न उत्पादन में 58 प्रतिशत, उद्यानिकी फसलों में 406 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री के आव्हान पर सरकार द्वारा भी वर्ष 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने के लिए एक रोड मैप तैयार कर, क्षेत्र विशेष की जलवायु और मिट्टी के अनुरूप फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा धान, गेहूं, अरहर, मसूर, चना, कुसुम, सेम, हल्दी, आम, कुटकी, तिखुर, बंडा, साखेन कांदा की 22 विशेष प्रजातियां विकसित की गई हैं।

श्री टंडन ने कहा कि विगत वर्ष लगभग 69 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया तथा 21सौ करोड़ रूपए का बोनस वितरण ‘बोनस तिहार’ के माध्यम से किया गया। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की पारदर्शी योजना से छत्तीसगढ़ राज्य को बहुत प्रसिद्धि मिली है। मक्का और गन्ना खरीदी के लिए भी सुचारू व्यवस्था की गई है।राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) व्यवस्था को मजबूत बनाने में छत्तीसगढ़ राज्य का अहम योगदान भी दर्ज हुआ है। प्रदेश की 14 मंडियां ‘ई-नाम’ से जुड़ चुकी है, जिससे प्रदेश के किसानों को देश के अन्य हिस्सों के भाव तत्काल पता चल जाते हैं। उद्यानिकी फसलों के विपणन हेतु भी 4 स्थानों पर फल-सब्जी मंडियां स्थापित की गई हैं।

उन्होने कहा कि  सूखा प्रभावित क्षेत्रों में राजस्व वसूली भी इस वर्ष अल्प वर्षा के कारण प्रदेश के 21 जिलों की 96 तहसीलों को तत्काल प्रभाव से सूखाग्रस्त घोषित करने का निर्णय मेरी सरकार ने लिया और प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए फसल क्षति अनुदान के रूप में जिला कलेक्टरों को 437 करोड़ रूपए उपलब्ध कराए। सूखा प्रभावित क्षेत्रों में राजस्व वसूली भी माफ की गई। इस प्रकार संकट के समय सरकार किसानों के साथ खड़ी रही है।

राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की अभिनव पहल से छत्तीसगढ़ को बहुत लाभ मिला है। इसकी मदद से केलो-जिला रायगढ़, खारंग-जिला बिलासपुर एवं मनियारी-जिला मुंगेली सिंचाई परियोजनाओं को दो वर्षों में पूर्ण कर 42 हजार 625 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता सृजित की जाएगी।

उन्होने कहा कि  नदियों को जोड़ने की अत्यंत महत्वाकांक्षी और दूरदर्शी सोच को साकार करने की दिशा में भी सरकार ने अपने कदम आगे बढ़ाए हैं। महानदी-तांदुला, पैरी-महानदी, रेहर-अटेम, अहिरन- खारंग, हसदेव-केवई, तथा कोडार-नैनी नाला को जोड़ने हेतु उनके विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन तैयार कराए जा रहे हैं। महत्वपूर्ण नदियों के संवर्धन, पुनर्जीवन हेतु तट पर हरित क्षेत्र विकास के लिए तकनीकी मार्गदर्शन, प्रशिक्षण एवं जागरूकता हेतु ईशा फाउंडेशन के साथ एम.ओ.यू. किया गया है।

राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि मेरी सरकार ने वन अंचलों के रहवासियों को वनोपज से अधिकतम लाभ दिलाने के लिए अनेक फैसले किए हैं। तेन्दूपत्ता संग्रहण दर को एक बार पुनः बढ़ाकर 25सौ रूपए कर दिया गया है। ‘तेन्दूपत्ता बोनस तिहार’ के माध्यम से विगत वर्ष की बोनस राशि 274 करोड़ रूपए का वितरण किया गया है। आधा दर्जन अन्य लघु वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जा रही है।

उन्होने कहा कि राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा ‘आम आदमी बीमा योजना’ के अंतर्गत लगभग 72 हजार छात्र-छात्राओं को 8 करोड़ 63 लाख रूपए की छात्रवृत्ति दी गई है। ऐसे अनेक प्रयासों से वनोपज आश्रित परिवारों का जीवन स्तर तेजी से सुधर रहा है। इनके बच्चे अच्छी-अच्छी संस्थाओं में प्रवेश पा रहे हैं और वह समय दूर नहीं जब वे डॉक्टर, इंजीनियर ही नहीं बल्कि अन्य बड़े-बड़े पदों पर पहुंचेंगे।

राज्यपाल ने कहा कि बस्तर तथा सरगुजा संभाग के जिलों में जिला संवर्ग बनाकर स्थानीय निवासियों की भर्ती सुनिश्चित करने की समय-सीमा एक बार फिर 31 दिसम्बर 18 तक बढ़ा दी गई है। इस वर्ष पुनः छात्रावासों तथा आश्रमों जैसी आवासीय संस्थाओं के विद्यार्थियों की शिष्यवृत्ति बढ़ाकर अब 900 रूपये प्रतिमाह कर दी गई है। राज्य के 49 छात्रावासों का आईएसओ प्रमाणीकरण सम्मान का विषय है। कवर्धा एवं नारायणपुर में नए परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण केन्द्र स्वीकृत किए गए हैं।

उन्होने कहा कि ’मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना’ के माध्यम से मेरी सरकार ने नक्सल प्रभावित जिलों के बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु आवास, भोजन, खेल एवं मनोरंजन आदि सुविधाओं के साथ उच्चस्तरीय शिक्षण-प्रशिक्षण की व्यवस्था की है। सभी संभागों में ‘प्रयास’ आवासीय विद्यालय की स्थापना कर दी गई है तथा अब कक्षा नवमीं से प्रवेश देने की व्यवस्था भी की गई है। इस संस्था के कारण अनेक बच्चे देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग, मेडिकल व अन्य बड़े कॉलेजों में पहुंचे हैं।