एनसीपी के दोनों गुटों ने चुनाव आयोग में हलफनामा दाखिल किया। दोनों गुटों ने चिट्ठी भेजकर पार्टी पर अपने प्रभुत्व का दावा किया है। चुनाव आयोग ने फिलहाल दोनों ही गुटों से चिट्ठी मिलने की बात स्वीकार की है। जानकारी के मुताबिक आयोग अगले एक दो दिनों में ही इन पत्रों के आधार पर दोनों ही गुटों को नोटिस जारी करेगा
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP ) पर अधिकार का झगड़ा आखिरकार चुनाव आयोग पहुंच गया है। दोनों ही गुटों ने (शरद पवार और अजित पवार) ने चुनाव आयोग को चिट्ठी भेजकर पार्टी पर अपने प्रभुत्व का दावा किया है।
चुनाव आयोग ने फिलहाल दोनों ही गुटों से चिट्ठी मिलने की बात स्वीकार की है। साथ ही संकेत दिए है कि इस विवाद को देखते हुए जल्द ही दोनों ही गुटों को नोटिस जारी कर दावे से संबंधित दस्तावेजों को पेश करने के लिए कहा जाएगा। जिसके आधार पर पार्टी पर अधिकारों को लेकर फैसला होगा।
शरद पवार ने ईमेल के जरिए दावेदारी की
इस बीच चुनाव आयोग से जो जानकारी मिली है, उसके तहत पर अधिकारों को लेकर शरद पवार गुट ने तीन जुलाई को ईमेल के जरिए अपनी दावेदारी की है। साथ ही पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार को बताया है। यह ईमेल जयंत पाटिल की ओर से भेजा गया था। इस दौरान पार्टी से जुड़े किसी भी विवाद पर उन्हें भी सुनने का अनुरोध किया है।
अजित पवार ने अपने साथ 40 विधायकों-सांसदों का किया दावा
वहीं ने पार्टी पर दावेदारी को लेकर 30 जून को ही आयोग को पत्र लिखा था। जिसमें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत पवार को बताया गया है। साथ ही यह फैसला पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में लिए जाने का दावा करते हुए इसकी जानकारी भी दी गई है।
इस बीच अजित पवार गुट की ओर से चुनाव आयोग को 30 जून को लिखी गई एक और चिट्ठी मिली है, जो पांच जुलाई यानी बुधवार को मिली है। जिसमें उन्होंने अपने साथ 40 विधायकों-सांसदों के होने का दावा किया है। इससे जुड़ा शपथ पत्र भी दिया है।
कुछ दिनों में नोटिस जारी करेगा चुनाव आयोग
सूत्रों की मानें तो आयोग ने एनसीपी को लेकर दोनों ही गुटों की ओर से मिले विरोधाभासी पत्रों और ईमेल मिलने के बाद इससे जुड़े कानूनी पहलुओं पर अध्ययन शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि आयोग अगले एक दो दिनों में ही इन पत्रों के आधार पर दोनों ही गुटों को नोटिस जारी करेगा और जरूरी दस्तावेज देने के लिए कहेगा।
एनसीपी पर अधिकार को लेकर विवाद की शुरूआत तब हुई, जब अजीत पवार अपने समर्थक विधायकों के साथ दो जुलाई को महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गए।
खुद उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। इसके बाद से दोनों ही गुटों में पार्टी पर अधिकार को लेकर जंग छिड़ी हुई है। हालांकि अब तक सबसे ज्यादा विधायक अजीत पवार के साथ खड़े नजर आ रहे है। इनमें से कई विधायक मंत्री भी बन गए है।