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भाजपा के प्रति नरम रुख के उलाहने झेलती रहीं मायावती अब अपने तेवरों से यह संदेश देना चाहती हैं कि..

भाजपा के प्रति नरम रुख के उलाहने झेलती रहीं बसपा सुप्रीमो मायावती अब अपने तेवरों से यह संदेश देना चाहती हैं कि वह प्रस्तावित विपक्षी एकता में फिलहाल भले ही शामिल न हों, लेकिन भाजपा की प्रबल विरोधी हैं।

भाजपा के प्रति नरम रुख के उलाहने झेलती रहीं बसपा सुप्रीमो मायावती अब अपने तेवरों से यह संदेश देना चाहती हैं कि वह प्रस्तावित विपक्षी एकता में फिलहाल भले ही शामिल न हों लेकिन भाजपा की प्रबल विरोधी हैं। शायद यही वजह है कि छह दिन पहले यूसीसी पर नपी-तुली प्रतिक्रिया देने वालीं मायावती ने यू-टर्न लेते हुए अब यूसीसी को जबरन थोपे जाने वाला और गैर-उपयोगी बताया है।

मायावती ने लिया यू-टर्न

शायद यही वजह है कि छह दिन पहले समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर नपी-तुली प्रतिक्रिया देने वालीं मायावती ने यू-टर्न लेते हुए अब यूसीसी को जबरन थोपे जाने वाला और गैर-उपयोगी बताया है। उन्होंने कहा कि भाजपा और उसकी सरकार को यूसीसी जैसे गैर-जरूरी मुद्दों पर ऊर्जा लगाने की जगह महंगाई कम करने और गरीबी दूर करने पर काम करना चाहिए।

मायावती ने पार्टी नेताओं को दिया निर्देश

मायावती ने शनिवार को नई दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ के पदाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में स्पष्ट कहा कि हर राजनीतिक-सामाजिक गतिविधि पर नजर रखें, लेकिन कोई प्रतिक्रिया न दें, क्योंकि पार्टी को हर वर्ग का वोट चाहिए। पार्टी इस मुद्दे को लेकर हालात को परखेगी। कार्यकर्ताओं को 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटने का निर्देश देने के साथ ही वह भाजपा पर हमलावर रहीं।

BJP पर जमकर बरसीं मायावती

उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकारें हताशा की शिकार हैं। अपनी कमियों पर पर्दा डालने के लिए जातिवादी, सांप्रदायिक व विभाजनकारी नीतियों को गति दे रही हैं। उन्होंने कहा कि यूसीसी को देश के सभी लोगों पर जबरदस्ती थोपना भी इनका ऐसा ही ताजा कदम है।

मायावती ने पहले क्या कहा?

बात दें कि दो जुलाई को बसपा अध्यक्ष ने कहा था कि एक समान कानून लागू होता है तो उससे देश कमजोर नहीं, बल्कि मजबूत होगा। बसपा यूसीसी की विरोधी नहीं है। अब जिस तरह से मायावती का रुख बदला है, उससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए गंभीरता से विचार-प्रयास कर रही हैं या फिर विपक्षी एकजुटता के लिए भी संभावनाओं की खिड़की खुली रखना चाहती हैं।

हालांकि, इस समीक्षा बैठक में पदधिकारियों से इस बारे में कुछ नहीं कहा। सिर्फ यही सलाह दी है कि बसपा संस्थापक कांशीराम की जन्मस्थली पंजाब में पार्टी के लिए बहुत संभावनाएं हैं। चंडीगढ़ में भी ताकत रही है, इसलिए यहां मेहनत करनी होगी।

हरियाणा में समय पूर्व चुनाव की संभावना

मायावती ने हरियाणा की भाजपा सरकार को अस्थिर बताते हुए संभावना जताई कि वहां भाजपा लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव करा सकती है। इसके लिए पहले से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश प्रभारी सहित संगठन में कई बदलाव करते हुए निर्देश दिया कि हरियाणा में यूपी मॉडल पर काम करें। जिस तरह सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय के मंत्र पर यूपी में बसपा ने चार बार सरकार बनाई, वैसे ही हरियाणा के गांव-गांव यह संदेश पहुंचाएं।