
रायपुर 22 जुलाई।नई दिल्ली की सामाजिक संस्था ट्रान्सफॉर्मिंग रूरल इंडिया फाउंडेशन (ट्रिफ) और पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आज राजधानी में ’इंडिया रूरल कोलोक्वि’ का आयोजन किया गया।
कोलोक्वि में देश में ग्रामीण गरीबी और असमानता की प्रमुख चुनौतियों पर संवाद किया गया। इस दौरान नये गांवों के निर्माण में समाज, सरकार और बाजार की भूमिका और चुनौतियों के समाधान पर विस्तार से चर्चा की गई। इस परिचर्चा में राज्य के वरिष्ठ अधिकारी, समाजसेवक, उद्यमी एवं विभिन्न सामाजिक विकास के क्षेत्र विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया और ग्रामीण गरीबी, असमानता एवं अन्य विसंगतियों के समाधान पर विचार-विमर्श किया। इस अवसर पर बिहान योजना के तहत लखपति दीदी योजना के तहत महिलाओं की सफलता पर आधारित बुकलेट का विमोचन भी किया गया।
शुभारंभ सत्र में छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष अजय सिंह ने कहा कि ’इंडिया रूरल कोलोक्वि‘ का आयोजन पहली बार रीजनल स्तर पर छत्तीसगढ़ में हो रहा है। इससे राष्ट्रीय स्तर पर योजना निर्माण के लिए वास्तविक और सही जानकारी जा सकेगी। इससे स्थानीय सोच और चुनौतियों के आधार पर निकली जानकारी योजनाओं के निर्माण में उपयोगी साबित होगी। उन्होंने कहा कि भारत अपनी 75 वर्ष की यात्रा में 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है। आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार भारत की आजादी के 100 वर्ष पूरे होने तक यह विकसित देशों की श्रेणी में आ जाएगा। ये अनुमान उत्साहजनक हैं, लेकिन विकास और उसकी गति के लिए समझना भी जरूरी है कि विकास का तब तक कोई अर्थ नहीं होगा जब तक इसका फायदा हर नागरिक तक न पहुंचे।
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की संचालक श्रीमती पद्मिनी भोई साहू ने समाज में महिलाओं की भूमिका और उसमें बदलाव पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि महिलाओं र्को आिर्थक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए घरों से बाहर निकालना एक चुनौती है। यह काम सपोर्ट, मोटिवेशन और समूह चर्चा के माध्यम से किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ में गौठानों, रीपा, बिहान जैसी महिला केन्द्रित योजनाओं से जुड़कर बड़ी संख्या में महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है और उनका जीवन स्तर ऊपर उठ रहा है।
पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी, रायपुर के कुलपति डॉ. सच्चिदानंद शुक्ला ने वीडियो संदेश के माध्यम से बताया कि सरकार के माध्यम से समाज के अंतिम व्यक्ति तक बाजार के फायदे पहुंचना कार्यक्रम की थीम है। परिचर्चा के बाद निकले निष्कर्ष से पिछड़े वर्गों के मदद के लिए योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी।
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