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विद्यार्थियों को संवेदनशील एवं देश भक्त नागरिक बनाने का होना चाहिए प्रयास – हरिचंदन

रायपुर, 25जुलाई।छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से कहा कि सभी को मिल कर विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा देने का प्रयास करना चाहिए ताकि आत्मनिर्भर भारत की ओर हम अग्रसर हो सके।

      श्री हरिचंदन ने आज राजभवन में राज्य के सभी 15 शासकीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि युवा हमारे भविष्य हैं। आने वाली कल की जिम्मेदारी उन पर है। इसलिए वे विश्वविद्यालय की गतिविधियों तक सीमित ना रहें बल्कि आम नागरिकों के बीच जाकर उनकी समस्याओं को समझे और जिम्मेदार नागरिक बनकर अपनी भूमिका का निर्वहन करें। विद्यार्थियों को संवेदनशील एवं देश भक्त नागरिक बनाने के लिए विश्वविद्यालयों के ऊपर बड़ी जिम्मेदारी है।

   बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन की स्थिति, नैक (नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन कौंसिल) द्वारा विश्वविद्यालयों एवं संबंद्ध महाविद्यालयों के मूल्यांकन की स्थिति, ग्रेडिंग और संस्थानों द्वारा नेक ग्रेडिंग सुधारने के लिए किये जा रहे प्रयासों की समीक्षा की गई। साथ ही विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक पदों पर भर्ती एवं नियुक्ति आदि की समीक्षा भी की गई। बैठक में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय और अन्य उच्च शैक्षणिक संस्थाओं के मध्य हुए एम.ओ.यू., अकादमिक सत्र के पालन, परीक्षाओं एवं परिणाम के समय पर जारी करने के संबंध में एवं विश्वविद्यालयों द्वारा कराए गए विशेष अनुसंधान, नवाचार आदि की भी जानकारी ली गई।

  राज्यपाल ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि युवा हमारे देश में कार्यबल की एक तिहाई का प्रतिनिधित्व करते है। भारत दुनिया के उन देशों में से एक है जहां युवा आबादी अधिक है। कौशल विकास, नेतृत्व कार्यक्रमों, खेल, सांस्कृतिक, साहित्यिक और अन्य गतिविधियों के माध्यम से युवाओं की असीमित ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए। विश्वविद्यालयों का फोकस ऐसे पाठ्यक्रम डिजाइन करने पर भी होना चाहिए जिससे उनकी रोजगार क्षमता बढ़े। साफ्ट स्किल्स, संचार कौशल विकासित करने वाले पाठ्यक्रम भी होना चाहिए।

   उन्होने कहा कि कई विश्वविद्यालयों में प्लेसमेंट सेल और करियर काउंसलिंग सेल स्थापित किए गए हैं, लेकिन यह एक निष्क्रिय सेल नहीं होना चाहिए, बल्कि उन्हें सक्रिय रूप से विद्यार्थियों को करियर विकल्पों और रिक्तियों के बारे में सुझाव देना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि आदिवासी बहुल क्षेत्रों सहित दूर-दराज के क्षेत्रों में युवाओं को उच्च शिक्षा के प्रति जागरूक कर समान अवसर प्रदान किये जायें।