रायपुर 21 मार्च।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के प्रबंधको का मासिक मानदेय 12 हजार रूपए से बढ़ाकर 15 हजार रूपए करने और 10 हजार तेन्दूपत्ता फड़ मुंशियों को निःशुल्क साईकिल देने की घोषणा की है।
डा.सिंह ने आज विश्व वानिकी दिवस के अवसर पर वन विभाग द्वारा आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि धरती के अस्तित्व को बचाने के लिए वनों का होना जरूरी है। ये वन न केवल पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से बल्कि लोगों की आजीविका के लिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सामाजिक वानिकी संबंधी प्रयोग काफी सफल हुए हैं। हरियाली के साथ-साथ इसके आस-पास रहने वाले ग्रामीणों की आमदनी का अच्छा जरिया भी बने हैं।
उन्होने कहा कि राज्य में 44 प्रतिशत भू-भाग में जो जंगल हैं, उनके असली संरक्षक उनमें रहने वाले आदिवासी हैं। वे जंगलों को नुकसान नहीं पहुंचाते। उन्हें मालूम है कि उनका जीवन जंगल पर ही पूर्ण रूप से निर्भर है। जीवन से लेकर मरते दम तक उनका जंगल से रिश्ता होता है। उन्होंने कहा कि जंगलों में रहने वाले आदिवासी शहरी लोगों की तुलना में वनों को बेहतर तरीके से समझते हैं। साल, सागौन, आम, महुआ जैसे परम्परागत पेड़ तो उनके सामाजिक जीवन के अविभाज्य हिस्से है।
डॉ.सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ के जंगलों में लघु वनोपजों की बहुलता है।चार-चिरौंजी, महुआ, सालबीज सहित तेन्दूपत्ता और सैकड़ों लघु वनोपज जंगलों में मौजूद हैं। सालभर कोई न कोई वनोपज जंगलों से मिलते रहते हैं। यही नहीं, बल्कि बड़ी मात्रा में वनौषधियां भी पाए जाते हैं। आदिवासी समाज के लोग अच्छी तरह से इनका इस्तेमाल भी करते आ रहे हैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि बिन मांगे पेड़ हमें जीवन भर कुछ न कुछ देते रहते हैं।कुछ आदिवासी समाजों में विवाह के अवसर पर पेड़ भी दहेज स्वरूप देने की परम्परा है। आमतौर पर महुआ का पेड़ उपहार में देते हैं, जो कि जीवन भर उनका काम आता है। एक पेड़ से एक हजार की सालाना आमदनी भी हो तो दस पेड़ से 10 हजार की अतिरिक्त आमदनी उत्पन्न होती है।
डॉ. सिंह ने बताया कि तेन्दूपत्ता की खरीदी दर में एक साल में 1800 रूपए प्रति मानक बोरे से 2500 रूपए की बढ़ोतरी की गई है। एक बार में इतनी वृद्धि इसके पहले कभी नहीं की गई थी। उन्होंने कहा संग्राहकों को बोनस और मजदूरी के साथ-साथ 10 प्रकार की और अन्य योजनाओं का फायदा भी दिया जाता है। उनके पढ़ने वाले बच्चों को छात्रवृत्ति के साथ-साथ मेडिकल, इंजीनियरिंग और ला, नर्सिंग जैसे पढ़ाई के लिए भी आर्थिक मदद प्रदान की जाती है।
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