रायपुर 21नवम्बर।कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय की अपील को खारिज किए जाने के बाद विश्वास जताया है कि झीरम के 2013 के नक्सल षड्यंत्र का खुलासा होगा और शहीदों के परिजनों को न्याय मिलने का रास्ता खुलेगा।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा ने आज यहां राजीव भवन में पत्रकारों से चर्चा करते हुये कहा कि राज्य में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद छत्तीसगढ़ की पुलिस ने आपराधिक षडयंत्र की जांच शुरु की तो एनआईए ने अदालती अडंगा अटका दिया। पहले वे ट्रायल कोर्ट में गए, वहां उनकी याचिका खारिज हुई फिर उच्च न्यायालय में खारिज हुई।इसके बाद एनआईए उच्चतम न्यायालय गई जहां आज उनकी याचिका खारिज हो गई।
उन्होने कहा कि इस फ़ैसले के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस 26 मई 20 को दर्ज दूसरे एफ़आईआर के आधार पर यह जांच कर पाएगी कि किसके कहने पर, किसे बचाने के लिए केंद्र सरकार की एजेंसी एनआईए जांच का रास्ता रोक रही थी ?उन्होने सवाल किया कि तत्कालीन भाजपा सरकार ने आपराधिक षड्यंत्र की जांच क्यों नहीं करवाई? आयोग बनाया तो उसके दायरे में षड्यंत्र क्यों नहीं रखा?
श्री वर्मा ने कहा कि 2014 में एनआईए ने पहला चालान प्रस्तुत किया। फिर 2015 में दूसरा चालान पेश किया गया।इन दोनों चालान में नक्सली संगठन के प्रमुख कर्ताधर्ता गणपति और रमन्ना के नाम नहीं डाले गए।जबकि इससे पहले जांच के दौरान एनआईए ने इन दोनों नेताओं को भगोड़ा भी घोषित किया था और संपत्ति कुर्क करने की नोटिस भी निकाली थी।
ज्ञातव्य हैं कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, 25 मई, 13 छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर बस्तर के झीरम में नक्सली हमला हुआ था।इस हमले में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, बस्तर टाइगर कहे जाने वाले महेंद्र कर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, पूर्व विधायक उदय मुदलियार सहित कुल 32 लोग शहीद हुए थे।