हिमाचल प्रदेश में डाक विभाग में फर्जी प्रमाणपत्र से नौकरी हासिल करने के घोटाले की जांच अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) शिमला की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा की टीम ने भी शुरू की है। अभी तक प्रदेश के विभिन्न जिलों की पुलिस मामले की जांच कर रही थी, लेकिन फर्जी दस्तावेजों से नौकरी हासिल करने का आंकड़ा प्रतिदिन बढ़ने के बाद जांच के लिए अब सीबीआई की मदद भी ली गई है। सीबीआई की जांच के मुताबिक बाहरी राज्य से 100 से ज्यादा युवाओं ने प्रदेश के अलग-अलग डाकघरों में फर्जी सर्टिफिकेट तैयार कर नौकरी हासिल की है। सीबीआई को दिसंबर के आखिरी हफ्ते में जांच का जिम्मा सौंपा गया था। ब्यूरो का मानना है कि यह भर्ती का एक बड़ा घोटाला है।
सीबीआई शिमला की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को डाक विभाग ने हमीरपुर के दो मामले सौंपे है। सीबीआई की अलग-अलग टीमों ने गुरुवार को पंजाब, बिहार और हरियाणा में दबिश दी। टीम ने आरोपी कुंदन कुमार पुत्र भरत शाह निवासी चंदन पट्टी, थाना सकरा, जिला मुजफ्फरपुर के घर से दस्तावेज कब्जे में लिए हैं। आरोपी कुंदन के लुधियाना के घर में भी दबिश दी है। दूसरे आरोपी सनी पुत्र श्रीनिवास, रोहतक निवासी के घर भी दबिश दी है। दोनों मामले में दस्तावेज कब्जे में लिए हैं। गौरतलब है कि डाक विभाग में भर्ती प्रक्रिया में आरोपी कुंदन की बिलासपुर के उप डाकघर स्वारघाट के जामली शाखा में 2021 में नियुक्ति हुई थी। जबकि, 2022-23 में आरोपी सनी की नियुक्ति भी बिलासपुर के लेहड़ी सरायल डाकघर में हुई थी। मामला उजागर होने के बाद दोनों अभ्यर्थियों की नियुक्ति रद्द कर दी थी।
तमिलनाडु बोर्ड से बनाए थे दसवीं के फर्जी प्रमाणपत्र
डाक विभाग ने प्रदेश परिमंडल के अधीनस्थ रिक्त ग्रामीण डाक सेवकों के पदों के लिए 2020 में भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। उक्त पदों के लिए दसवीं के अंकों की मेरिट की वरीयता सूची के आधार पर डाक सेवकों को चयनित किया था। सीबीआई के मुताबिक भर्ती प्रक्रिया के दौरान आरोपी कुंदन और सन्नी ने दसवीं के प्रमाण-पत्र जाली निकले। इन्होंने चेन्नई के तमिलनाडु स्टेट बोर्ड ऑफ स्कूल एग्जामिनेशन के नाम पर दसवीं कक्षा के फर्जी सर्टिफिकेट तैयार किए थे। जांच के मुताबिक तमिलनाडु बोर्ड के रिकाॅर्ड में इन आरोपियों के नाम से कोई भी दस्तावेज जारी नहीं हुए थे।
शिमला पुलिस भी कर रही एक दर्जन मामलों की जांच
शिमला में नौकरी हासिल करने पर पुलिस करीब एक दर्जन मामलों की जांच कर रही है। यह मामले सदर, बालूगंज, ढली, ठियोग, चौपाल, रोहड़ू, कुमारसैन और कोटखाई थाने में दर्ज किए गए हैं। इसमें हरियाणा के जींद के सोनू, विक्रम, राकेश, रवि कुमार, सुशील, साहिल, राकेश, अमन, विकास, साहिल, अंकित कुमार, राहुल और मंडी के मनीष कुमार ने शिमला की कई शाखाओं में नौकरी हासिल की। यह 2018 से 2022 तक नौकरी करते रहे। पुलिस जांच कर रही है कि फर्जी सर्टिफिकेट बनाने वाले माफिया के तार उत्तर प्रदेश और हरियाणा के अलावा अन्य किन राज्यों से जुड़े हो सकते हैं।
चंबा के दो पूर्व पोस्टमास्टरों पर सीबीआई का शिकंजा
सीबीआई ने जिला चंबा के दो पूर्व पोस्टमास्टरों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। सीबीआई की टीम ने डाकघरों से रिकॉर्ड कब्जे में ले लिया है। मामले में तह तक जाने के लिए रिकॉर्ड को खंगाला जा रहा है। अब तक की जांच में सामने आया है कि एक आरोपी ने 69 बुजुर्ग, विधवा व दिव्यांग पेंशन भोगियों के खातों से 3 लाख से अधिक की राशि का गबन नवंबर-दिसम्बर 2022 की अवधि में किया, जबकि दूसरे आरोपी ने 30 बचत खातों, 125 आरडी, 3 एफडी, 61 सुकन्या समृद्धि योजना, 1 महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र, 1 ग्रामीण डाक जीवन बीमा खाते से 32 लाख से अधिक की राशि डकार ली। विभागीय जांच के बाद इन दोनों को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। डाकघर शाखा बाट में कार्यरत रहे एक पोस्टमास्टर पर आरोप है कि वह खाताधारक और गवाहों के हस्ताक्षर व अंगूठे का निशान अतिरिक्त निकासी फार्म (एसबी-7) में कर लेता था और कुछ की पासबुक को अपने पास रख लेता था। ऐसे में खाताधारक के खाते में जब भी पेंशन की किस्त जमा होती थी, तो वह उसके पहले से हस्ताक्षरित करके नकदी निकाल लेता था और उसके पास पड़ी पासबुक में प्रविष्टियां कर देता था। जब पेंशनरों को पेंशन नहीं मिली तो जांच में गबन का खुलासा हुआ। इसके साथ ही मसरूंड डाकघर शाखा में सेवारत ग्रामीण डाक सेवक एवं पूर्व पोस्टमास्टर पर 12 नवंबर 2021 से 10 जुलाई 2023 तक सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप है।