अयोध्या में रामलला के आगमन का इंतजार खत्म होने वाला है। आज (22 जनवरी) होने वाले राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। पूरी राम नगरी को आध्यात्मिक रंग देकर सजाया गया है। मंदिर परिसर की छटा देखती ही बनती है।
22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के लिए न्यूनतम विधि-अनुष्ठान रखे गए हैं। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर होने वाली प्राण प्रतिष्ठा समारोह में प्रातः काल 10 बजे से ‘मंगल ध्वनि’ का भव्य वादन होगा। विभिन्न राज्यों से 50 से अधिक मनोरम वाद्ययंत्र लगभग दो घंटे तक इस शुभ घटना का साक्षी बनेंगे।
इसी बीच प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले राम मंदिर में पूजा अनुष्ठानों की झलकियां देखने को मिली है। प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में स्थापित देवताओं का दैनिक पूजन, हवन, पारायण आदि कार्य, सुबह मध्वाधिनास, मूर्ति का 114 कलशों के विविध औषधीयुक्त जल से स्नपन, महापूजा, उत्सवमूर्ति की प्रासादपरिक्रमा, शय्याधिनास, तत्त्वन्यास, महान्यास आदिन्यास, शान्तिक-पौष्टिक – अघोर होम, व्याहृति होम, रात्रिजागरण, सायंपूजन एवं आरती हुई।
114 कलश के पवित्र जल से रामलला ने किया दिव्य स्नान
इससे पहले, रविवार को प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में देश-दुनिया की पवित्र नदियों के 114 जल कलश से रामलला को दिव्य स्नान कराया गया। इससे पहले उनके मध्वाधिवास की प्रक्रिया पूरी की गई। उन्हें कई प्रकार की मिठाइयों से अधिवास कराया गया। पूजन के क्रम में ही पुत्रदा एकादशी पर वैदिक मंत्रों से ब्रह्मांड के सभी देवी-देवताओं को प्राण प्रतिष्ठा के लिए आमंत्रित किया गया।
इससे पहले रविवार को अनुष्ठान की शुरुआत गणपति पूजन से हुई। इसके बाद चारों वेदों का मंगलाचरण किया गया। फिर रामलला के रजत विग्रह को नींद से जगाकर पूजा-अर्चना की गई और पालकी यात्रा निकाली गई। आचार्य अरुण दीक्षित ने बताया कि तुलसीदास जी लिखते हैं सुर समूह बिनती करि पहुंचे निज निज धाम, जगनिवास प्रभु प्रगटे अखिल लोक विश्राम…रामजन्म के समय सभी देवी-देवता अयोध्या में मौजूद थे।
रामजन्म जैसे मुहूर्त में ही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। ऐसे में सभी देवी-देवताओं को भी आमंत्रित किया गया है। रविवार को पुत्रदा एकादशी के शुभ योग में वेदमंत्रों से आहुति डालकर देवताओं का आह्वान किया गया। ऐसे में अब यह कहा जा सकता है कि सभी देवी-देवता रामजन्मभूमि परिसर में पधार चुके हैं।
आचार्य मृत्युंजय ने बताया कि मध्याधिवास के क्रम में काजू, बादाम, पिसता, केसर समेत कई प्रकार की मिठाइयों से अधिवास कराया गया। इसके बाद देवता स्थापन गर्भगृह में हुआ। भगवान के अचल विग्रह को एक हजार छिद्र वाले कलश से स्नान कराया गया। इसके बाद नवरत्न, पंच रत्न, पुष्प, धूप, नैवेद्य समेत 108 प्रकार की औषधियों से युक्त 114 जल कलश से रामलला का अभिषेक हुआ।
बीती रात रामलला विराजमान हुए। साथ ही चारों भाईयों को गोदी में लेकर नए मंदिर में पुजारी सुलाने ले गए। आज से नए मंदिर में ही रामलला अपने भाइयों के साथ वहां पर विराजमान होंगे।