उत्तराखंड में 11 हर्बल एरोमा टूरिज्म पार्क भी विकसित किए जाएंगे। वन पंचायत के लिए 628 करोड़ की परियोजना के तहत काम होंगे।
प्रदेश की 500 वन पंचायतों की पांच हजार सहित कुल 10 हजार हेक्टेयर भूमि में जड़ी-बूटी उगाई जाएगी। वन पंचायतों के लिए 628 करोड़ की परियोजना के तहत 11 हर्बल एरोमा टूरिज्म पार्क भी विकसित किए जाएंगे।
यह कहना है वन मंत्री सुबोध उनियाल का। उन्होंने यह बात मंथन सभागार में वन पंचायतों की कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कही। वन मंत्री ने कहा, परियोजना के तहत दस हजार लोगों को जड़ी-बूटी उगाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। भारत में वन पंचायत व्यवस्था केवल उत्तराखंड राज्य में है।
कहा, गांव से लगे वनों को संरक्षित रखते हुए स्थानीय ग्रामीणों की मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति के लिए वर्ष 1930 में वन पंचायत व्यवस्था शुरू हुई। वन पंचायतों का गठन, सीमांकन एवं प्रशासन राजस्व विभाग के पास है एवं पंचायती वनों के प्रबंधन के लिए तकनीकी सहयोग का उत्तरदायित्व वन विभाग के पास है।
रोजगार के अवसर मुहैया हो सके
उन्होंने कहा, राज्य सरकार की मंशा है कि वन पंचायतों को कई योजनाओं एवं रोजगारोन्मुख पौधरोपणों से जोड़कर पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों को वन विकास से संबद्ध किया जाए, ताकि ग्रामीणों की आय में वृद्धि के साथ रोजगार के अवसर मुहैया हो सके। मुख्य वन संरक्षक, वन पंचायत डॉ. पराग मधुकर धकाते ने कहा, जड़ी-बूटी उगाने की यह परियोजना पांच-पांच साल के दो चरणों के लिए है।
कहा, पहले चरण में 200 और दूसरे चरण में 300 वन पंचायतों को लिया जाएगा, जिसमें 628 करोड़ खर्च किए जाएंगे। वन पंचायत के अलावा निजी भूमि में भी जड़ी-बूटी उगाई जाएगी। कार्यशाला में प्रमुख वन संरक्षक वन पंचायत डॉ. धनंजय मोहन, प्रमुख वन संरक्षक, नियोजन एवं वित्तीय प्रबंधन गिरजा शंकर पांडेय, प्रमुख वन संरक्षक प्रशासन बीपी गुप्ता, प्रमुख वन संरक्षक जायका विजय कुमार, अपर प्रमुख वन संरक्षक, परियोजनाएं कपिल लाल, मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल नरेश कुमार, मुख्य वन संरक्षक निशांत वर्मा, राम भरोसे आदि मौजूद रहे। संचालन वन दरोगा कल्पना रावत ने किया।
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