अक्सर राजनीति को भी प्रभावित करने वाले प्याज की महंगाई को हमेशा के लिए नियंत्रित करने की तैयारी शुरू हो गई है। केंद्र सरकार बफर स्टॉक के लिए इस बार पांच लाख टन प्याज की खरीदारी करेगी। इसी माह के पहले सप्ताह में केंद्र ने प्याज निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाकर किसानों को उचित मूल्य दिलाने का प्रयास किया था।
सरकार के इस कदम को चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है, क्योंकि महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक क्षेत्रों में चुनाव अभी बाकी है। उत्तरी-पश्चिमी महाराष्ट्र प्याज का बड़ा उत्पादक है, जहां 20 मई को मतदान होने हैं। इसी क्षेत्र में प्याज व्यापार का केंद्र नासिक भी है। डिंडोरी, नासिक एवं धुले सीटों के वोटरों का हित सीधे तौर पर प्याज से जुड़ा है। लोकसभा की सात सीटों की राजनीति प्याज के मुद्दे से ही प्रभावित होती हैं। जलगांव, अहमदनगर, शिरडी, शिरूर, नंदुरबार एवं रावेर में भी प्याज की खेती होती है। डिंडोरी से केंद्रीय मंत्री भारती पवार चुनाव लड़ रही हैं।
केंद्र सरकार ने नेफेड एवं एनसीसीएफ (भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ) को बफर स्टॉक के लिए किसानों से प्याज की खरीदारी शुरू करने का निर्देश दिया है। किसानों से 17-20 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदारी प्रारंभ भी कर दी गई है। इससे किसानों को तत्काल राहत और आगे महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
…ताकि काबू में रहे प्याज की कीमत
प्याज की कीमत को नियंत्रित रखने और राजनीतिक विमर्श से बचाने के लिए सरकार ने एक और कदम उठाया है। किसानों को आश्वस्त करते हुए अगले सीजन के प्याज की खरीदारी सुनिश्चित करने की भी पहल की गई है। सरकार ने इसके लिए अग्रिम रजिस्ट्रेशन प्रारंभ कर दिया है। इससे कालाबाजारी पर नियंत्रण, बफर स्टॉक में वृद्धि और कीमतों में गिरावट को रोका जा सकेगा। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है। ताजा रजिस्ट्रेशन प्याज की उन फसलों के लिए प्रभावी होगा, जिनकी बुवाई जून-जुलाई से शुरू होने वाली है। किसानों को दाम अधिक मिलने पर खुले बाजार में भी बेचने की आजादी रहेगी।
इस साल प्याज उत्पादन में कमी आने का है अनुमान
सारे प्रयास सावधानी के तौर पर किए जा रहे हैं। कृषि मंत्रालय का आकलन है कि इस वर्ष प्याज के उत्पादन में लगभग 47 लाख टन की कमी आएगी। सिर्फ महाराष्ट्र में लगभग 34.31 लाख टन उत्पादन गिरने का अनुमान है। ऐसे में आने वाले समय में प्याज का भाव आसमान चढ़ सकता है। इस वर्ष 254.73 लाख टन प्याज उत्पादन का अनुमान है, जबकि विगत वर्ष 302.08 लाख टन हुआ था। देश में सबसे ज्यादा लगभग तीन चौथाई प्याज का उत्पादन रबी मौसम में ही होता है।
प्याज दो तरह से करता है वोट को प्रभावित
प्याज का राजनीति से दशकों पुराना संबंध है। अभी यह दो तरह से वोटरों पर असर डाल रहा। पहला किसानों को प्याज की कम कीमत मिल रही है और दूसरा उपभोक्ताओं को भी ज्यादा पैसे देने पड़ रहे हैं। सिर्फ बिचौलिओं की चांदी है। महाराष्ट्र की जिन मंडियों में प्याज की आवक कम है, वहां कीमत अच्छी मिल रही है, किंतु जहां ज्यादा आवक है, वहां के किसान ठगे जा रहे हैं। भंडारण की व्यवस्था नहीं होने के चलते औने-पौने दाम पर बेचना मजबूरी है। हालांकि केंद्र सरकार ने किसानों को बेचने के बजाए भंडारण की सलाह दी है, ताकि बाजार में मांग बढ़ने पर सितंबर-अक्टूबर में अच्छी कीमत मिल सके।
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