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छत्तीसगढ़: मनरेगा से 41 लाख रुपये खर्च कर लगाए गए नारियल व अन्य औषधीय पौधे

छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत लगाए गए पौधे पानी की कमी की वजह से सूख गए। 15 एकड़ भूमि पर 41.27 लाख रुपये खर्च कर एक हजार नारियल के पौधे व औषधीय पौधे लगाए थे, लेकिन अब एक की पौधा नहीं बचा।

कोरिया जिले के ग्राम पंचायत फूलपुर के शंकरपुर में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) कोरिया ने 15 एकड़ भूमि पर 41.27 लाख रुपये खर्च कर एक हजार नारियल के पौधे व औषधीय पौधे लगाए थे। लेकिन यहां एक भी पौधा नहीं बचा है। सिंचाई सुविधा के अभाव में सभी पौधे सूख गए। नारियल के पौधे जिस भूमि पर लगे थे, वह जमीन पथरीली और टीले पर है।

सिंचाई व्यवस्था के लिए केवीके ने यहां बोर खनन भी करवाया, लेकिन बोर में पानी नहीं मिला। झुमका बांध से पाइप कनेक्शन कर पानी लाने की योजना भी आगे नहीं बढ़ सकी। जिले में नारियल की मांग 12 महीने रहती है, इसे देखते हुए केवीके ने छह से आठ माह के नारियल पौधों का रोपण किया था। पौधे बढ़ने भी लगे थे, लेकिन सिंचाई सुविधा के अभाव में पौधे जीवित नहीं बचे। केवीके ने मनरेगा के तहत तीन अलग-अलग स्वीकृति में कार्य को पूरा किया था। इसके तहत 15 एकड़ भूमि का समतलीकरण, फेंसिंग, गड्ढा खनन के साथ पौधे लगाए गए थे।

विभाग के अनुसार, साल 2020-21 में शुरू हुए कार्य में पहली प्रशासकीय स्वीकृति 13.09 लाख रुपये की मिली थी। इसमें श्रमिक लागत पर 8.38 लाख रुपये व सामग्री पर 4.71 लाख रुपये खर्च किए गए थे। दूसरी स्वीकृति 14.37 लाख थी। श्रमिक लागत 8.56 लाख व सामग्री पर 5.81 लाख रुपये लगे थे। वहीं, तीसरी स्वीकृति 13.18 लाख रुपये थी। इसमें श्रमिकों को 3.55 लाख का भुगतान व सामग्री पर 9.63 लाख रुपये खर्च हुए।

सीईओ आशुतोष चतुर्वेदी ने बताया कि अब पौधौं के सूखने के बाद जिला पंचायत के सीईओ आशुतोष चतुर्वेदी का कहना है कि आपके माध्यम से जानकारी सामने आई है, लेकिन केवीके के अनुसार इसमें आशा अनुरूप सफलता नहीं हुई। सीईओ ने कहा कि केवीके से जानकारी लेंगे और आवश्यक कार्रवाई करेंगे।