दिल्ली सरकार की कैब एग्रीगेटर और डिलीवरी सेवा प्रदाता नीति के लिए पोर्टल तैयार कर लिया गया है। 10 से अधिक कंपनियों को लाइसेंस भी जारी कर दिए गए हैं। इनमें ओला, उबर, जोमैटो, स्वीगी और अंकल डिलीवरी आदि कंपनियां शामिल हैं। विभाग के पोर्टल पर कंपनियों ने अपने वाहन का पंजीकरण करवा रही हैं। 90 दिनों के भीतर नई नीति के तहत सभी को सेवाएं देनी हैं।
अधिकारियों ने बताया कि नई नीति के तहत सेवा देने वाली कंपनियों को चरणबद्ध तरीके से 2030 तक बेड़े के सभी वाहन इलेक्ट्रिक करने होंगे। परिचालन शुरू होने के बाद से ही इनकी जांच का अभियान शुरू किया जाएगा, चूंकि योजना में एग्रीगेटर अपना किराया खुद तय करेगा, ऐसे में इसे लेकर आने वाली शिकायतों पर भी कंपनियों पर कार्रवाई होगी।
कमांड सेंटर का ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट को देना होगा एक्सेस
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को और बढ़ावा देने के लिए कोई भी फीस नहीं है। यदि किसी एग्रीगेटर के पास ई-वाहन हैं तो उस पर कोई फीस नही है। जो आपरेटर होगा उसे एनसीआर में कमांड सेंटर बनाना होगा। यदि एनसीआर से बाहर से कमांड सेंटर चलाया जा रहा है तो उस एग्रीगेटर को कमांड सेंटर का एक्सेस ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट को देना होगा। जितने भी एग्रीगेटर हैं उनके पास जितने भी वाहन हैं, पांच साल के भीतर सभी वाहनों को इलेक्ट्रिक करना होगा।
उल्लंघन करने पर पांच हजार से एक लाख तक जुर्माना
यदि कोई एग्रीगेटर नियमों का उल्लंघन करता है और बिना पंजीकृत किए कोई एग्रीगेटर डीजल या पेट्रोल के वाहन चला रहा है तो परिवहन विभाग कार्रवाई करेगा। पहली बार में एक वाहन पर पांच हजार से एक लाख रुपये तक जुर्माना किया जा सकता है। दूसरी बार में लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है।
चरणबद्ध तरीके से बेड़े में शामिल होंगे ई-वाहन
ऐसे एग्रीगेटर जिनके पास तीनपहिया वाहन हैं तो 6 माह में 10% तक इलेक्ट्रिक करने होंगे। एक साल में 25%, दो साल में 50%, तीन साल में 75, चार और पांच साल में 100% ई-वाहन ही चलाने हैं। अगर चारपहिया वाहनों की बात करें तो पहले 6 माह में 5%, एक साल में 15%, दो साल में 25, तीन साल में 50 चार साल में 75 और पांच साल में 100% ई-वाहन ही चलाने हैं। डिलीवरी सर्विस प्रोवाइडर्स को दोपहिया वाहन अगले 6 माह में 10%, एक साल में 25, दो साल में 50, तीन साल में 75 और 4 साल में 100% ई-वाहन ही चला सकेंगे।
तीन श्रेणियों में लागू होेगी योजना
कैब एग्रीगेटर और डिलीवरी सेवा प्रदाता योजना को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले वर्ष अक्तूबर में मंजूरी दी थी। इसे नवंबर में अधिसूचित किया गया था। नीति का मुख्य उद्देश्य बाइक टैक्सियों को वैध बनाना और ऐप आधारित एग्रीगेटर और डिलीवरी सेवा प्रदाताओं के व्यापक विनियमन और लाइसेंसिंग की रूपरेखा तैयार करना है। यह नीति तीन श्रेणियों पर लागू होगी।
पहली श्रेणी पैसेंजर ट्रांसपोर्ट जैसे ओलो, उबर, दूसरी डिलीवरी सर्विस प्रोवाइडर स्वीगी, जोमैटो आदि और तीसरी श्रेणी ई-कामर्स फ्लिप कार्ट, अमेजन आदि। हालांकि, बसों पर यह योजना लागू नहीं होगी। किसी भी एग्रीगेटर के पास 25 से कम वाहन होने पर यह नियम लागू नहीं होगा। लाइसेंस की पांच साल की वैद्यता होगी। इसका वार्षिक भुगतान भी करना होगा।