भारतीय सेना को यूपी के ड्रोन और मानवरहित विमान (यूएएस) नई ताकत देंगे। पहली बार यूपी में ड्रोन व मानवरहित विमान के लिए परीक्षण और शोध केंद्र बनाया जा रहा है। 60 करोड़ की लागत से बनने वाले ड्रोन टेस्टिंग फाउडेंशन में 45 करोड़ केंद्र सरकार देगी। एचएएल इस योजना का नेतृत्व करेगा। भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (बीईएल), यंत्र इंडिया लिमिटेड, ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) , आईआईटी कानपुर और यूपीडा की अहम भूमिका होगी। यूपी डिफेंस कारीडोर में सेना के लिए सुसाइडल ड्रोन, दो से तीन हजार किलोमीटर की दूरी तय करने वाले ड्रोन, मीलों ऊपर से ही खुफिया निगरानी जैसे ड्रोन यहां विकसित होंगे। अपनी तरह के पहले सेंटर का नाम यूएएस टेस्टिंग फाउंडेशन रखा गया गया है।
मुख्य सचिव व अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह की मौजूदगी में यूपीडा के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही और अन्य संबंधित संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच समझौता हुआ। यूएएस यानी मानवरहित विमान और ड्रोन में इंसान नहीं होता। ये दूर से संचालित होते हैं या स्वायत्त रूप से उड़ते हैं। यूएएस को आमतौर पर मानव रहित हवाई प्रणाली (यूएएस), मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी), रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (आरपीएएस) और ड्रोन के रूप में जाना जाता है। इन्हें सैन्य अभियानों में शत्रु क्षेत्र की टोह लेने और जरूरत पड़ने पर आक्रमण करने के लिये उपयोग मे लाया जाता है।
यूपी होगा ड्रोन शक्ति का केंद्र
अब यूपी ने ड्रोन व मानवरहित विमान का गढ़ बनने की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं। इसके बाजार का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि वैश्विक ड्रोन बाजार करीब 14 अरब डालर का है जो 2032 तक 54 अरब डालर होने का अनुमान है। वहीं भारतीय ड्रोन टेक स्टार्टअप रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ड्रोन बाजार 2030 तक 13 अरब डॉलर होगा। इजरायल और अमेरिका के बाद भारत तेजी से ड्रोन तकनीकी में अपना लोहा मनवा रहा है। इस फाउंडेशन के जरिये इजरायल के हेरॉन ड्रोन और अमेरिका के एमक्यू-9बी ड्रोन से भी उन्नत ड्रोन यहां विकसित करने पर शोध होगा। एमक्यू-9बी ड्रोन से ही अमेरिका ने अल कायदा सरगना अयमान-अल जवाहिरी को मार गिराया था। प्रदेश में 15 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन, 500 किलोमीटर की रफ्तार से लैस ड्रोन और एक बार फ्यूल टैंक भरने के बाद 40 घंटे तक उड़ान भरने वाले ड्रोन पर काम होगा। ये मैकेनिकल और इलेक्ट्रिक हमले से बेअसर होंगे। दुश्मन के अड्डे की रेकी करेंगे। तीन हजार किलो तक के हथियार आसानी से ले जाने में ये ड्रोन सक्षम होंगे।
यूएएस टेस्टिंग फाउंडेशन एक नजर में–
प्रोजेक्ट की कुल लागत – 60 करोड़
रक्षा मंत्रालय का हिस्सा – 45 करोड़
लीड सदस्य एचएएल का हिस्सा- 5 करोड़
भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिडेट (बीईएल) का हिस्सा – 3 करोड़
भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) का हिस्सा – 3 करोड़
यंत्र इंडिया लिमिटेड का हिस्सा – 1.5 करोड़
ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड का हिस्सा – 1.5 करोड़
एन्ड्योर एयर सिस्टम्स का हिस्सा – 1 करोड़