
नई दिल्ली, 20 अगस्त।लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा भ्रष्टाचार से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक पेश करते ही संसद में भारी हंगामा मच गया। विधेयक के पेश होते ही विपक्षी दलों ने जोरदार विरोध शुरू कर दिया और “संविधान को मत तोड़ो” जैसे नारों से सदन गूंज उठा।
विपक्ष ने इस विधेयक को संविधान के साथ छेड़छाड़ करार देते हुए कहा कि सरकार इसे राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकती है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक पर तीखी आपत्तियाँ जताईं। समाजवादी पार्टी और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी ने भी इसे सिरे से खारिज कर दिया।
विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “मेरे ऊपर भी झूठे आरोप लगे थे, लेकिन मैंने बिना कोर्ट के निर्णय का इंतजार किए नैतिक आधार पर इस्तीफा दे दिया था। जब तक निर्दोष साबित नहीं हुआ, मैंने कोई पद नहीं संभाला।”उनके इस बयान से सदन में और तनाव बढ़ गया। विपक्षी सांसदों ने कागज़ फाड़कर उनकी ओर फेंके, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।
गृह मंत्री ने कहा कि यह विधेयक राजनीतिक नैतिकता और प्रशासनिक पारदर्शिता को मजबूती देगा। इसके तहत यदि कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री किसी आपराधिक मामले में लिप्त पाया जाता है, तो उसे 30 दिनों के भीतर पद त्यागना होगा।
कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने शाह के पुराने केस का जिक्र करते हुए सवाल उठाया, वहीं समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने उनके नैतिकता के दावे पर तंज कसा।
विपक्ष के तीव्र विरोध और नारेबाज़ी के कारण लोकसभा की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा।