चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन पर सबकी नजर है। भारत चीन और रूस के एक मंच पर आने से दुनिया की निगाहें टिकी हैं। पीएम मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से द्विपक्षीय मुलाकात होगी जिसमें रक्षा ऊर्जा संबंधों और रूस-यूक्रेन संघर्ष पर चर्चा होगी।
शंघाई सहयोग संगठन के कार्यक्रम में पहुंचे मोदी
चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से की मुलाकात
व्लादिमिर पुतिन के साथ अहम मुद्दों पर होगी चर्चा
चीन के तियानजिन शहर में हो रहे शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन पर दुनियाभर की निगाहें टिकी हैं। एक तरफ दुनिया उथल-पुथल से जूझ रही है, तो वहीं दूसरी तरफ डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ बम समेत कुछ बेतुके फैसलों ने ना-उम्मीदी का माहौल पैदा कर दिया है।
यही वजह है कि अब जब भारत, चीन और रूस एक साथ एक मंच पर दिख रहे हैं, तो खुद को सुपरपावर मानने वाला देश दबी आंखों से सब कुछ चुपचाप देख रहा है। शनिवार को पीएम मोदी चीन पहुंचे और स्वागत समारोह में शामिल हुए। आज पीएम मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के साथ द्विपक्षीय मुलाकात होनी है।
पुतिन के साथ होगी अहम चर्चा
मोदी और पुतिन के बीच होने वाली द्विपक्षीय बैठक कई मायनों में खास है। इसे भारत पर 50 फीसदी टैरिफ थोपने वाले डोनाल्ड ट्रंप के लिए भी एक कड़ा संदेश माना जा रहा है। भारत और रूस के बीच दशकों से मित्रता रही है। केवल इस महीने की शुरुआत में ही पीएम मोदी और पुतिन के बीच दो बार बातचीत हो चुकी है।
पुतिन इस साल दिसंबर में भारत आ सकते हैं। उनका आखिरी दौरा दिसंबर 2021 में हुआ था। आज पुतिन के साथ होने वाली बैठक में रक्षा और ऊर्जा संबंधों सहित दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों और रूस-यूक्रेन संघर्ष पर विस्तार से चर्चा होने की उम्मीद है। पुतिन इसके बाद तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन और ईरानी राष्ट्रपति पेजेशकियन से भी मिलेंगे।
अमेरिका से रिश्तों में खटास आने के बाद भारत ने चीन को भी साथ लाने की कोशिश की है। एससीओ के शिखर सम्मेलन से इतर पीएम मोदी ने शी चिनफिंग से बातचीत की, जिसमें उन्होंने द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों का विस्तार करने और व्यापार घाटे को कम करने के लिए एक राजनीतिक और रणनीतिक दिशा विकसित करने की आवश्यकता पर भी चर्चा की।
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